भोपाल। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के नवीन श्रृंखला ‘सप्ताह का प्रादर्श’ के अंतर्गत जनवरी माह के पहले सप्ताह के प्रादर्श के रूप में “गरुड़” ओडिशा में प्रचलित काष्ठ शिल्प, जिसका माप – ऊँचाई-28 सेमी, चौड़ाई –27 सेमी। इसे संग्रहालय द्वारा सन,1998 में ओडिशा के पुरी जिले में निवासरत लोक जनजाति समुदाय से संकलित किया गया है। इस प्रादर्श को इस सप्ताह दर्शकों के मध्य प्रदर्शित किया गया।
इस सम्बन्ध में संग्रहालय के निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने बताया कि ‘सप्ताह के प्रादर्श’ के अंतर्गत संग्रहालय द्वारा पूरे भारत भर से किए गए अपने संकलन को दर्शाने के लिए अपने संकलन की अति उत्कृष्ट कृतियां प्रस्तुत कर रहा है जिन्हें एक विशिष्ट समुदाय या क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास में योगदान के संदर्भ में अद्वितीय माना जाता है। अनादिकाल से ही मानव प्रकृति में उपलब्ध विभिन्न माध्यमों में अपनी कलात्मकता को अभिव्यक्त करता रहा है। लकड़ी वन्य क्षेत्रों में बहुतायत से उपलब्ध एक ऐसा ही लोकप्रिय माध्यम है। गरुड़ (भगवान विष्णु का वाहन) की नक्काशीदार प्रतिमा ओडिशा में प्रचलित काष्ठ शिल्प परंपरा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है । इसे लकड़ी के एकल टुकड़े पर उकेरा गया है। गरुड़ की आकृति को एक गोलाकार आसन पर बैठे हुए नमस्कार की मुद्रा में दर्शाया गया है। गरुड़ की यह प्रतिमा अत्यंत जटिल और सूक्ष्म नक्काशी कर तैयार की गई है। भगवान जगन्नाथ के विशेष संदर्भ सहित विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां साथ ही पशु–पक्षी, खिलौने, पालकी, मंडप, लकड़ी की पेटी, दरवाजे आदि कुछ लोकप्रिय कृतियां हैं जो ओडिशा के विभिन्न हिस्सों में उत्कीर्ण की जाती हैं। खंडपडा़, पुरी, दस्पल्ला और केंद्रापाड़ा के काष्ठ शिल्पकार इस शिल्प में प्राचीन काल से ही अत्यंत कुशल हैं।
दर्शक इस का अवलोकन मानव संग्रहालय की अधिकृत साईट (https://igrms.com/wordpress/?page_id=1976) तथा फेसबुक (https://www.facebook.com/NationalMuseumMankind) पर के अतिरिक्त इंस्टाग्राम एवं ट्विटर के माध्यम से घर बैठे कर सकते हैं।