कला विविधताओं का प्रदर्शन ‘गमक’

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों एकाग्र ‘गमक’ श्रृंखला अंतर्गत सोमवार को आदिवासी लोककला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा आयोजित देश में प्रचलित कठपुतली परम्परा एकाग्र प्रदर्शन एवं व्याख्यान आधारित पुतुल समारोह में श्री विभाष उपाध्याय, भिलाई द्वारा पुतली कला की विविधता पर व्याख्यान एवं पंचतंत्र की कथाओं पर एकाग्र दस्ताना और धागा पुतली शैली में प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति की शुरुआत श्री उपाध्याय के व्याख्यान से हुई, जिसमे उन्होंने भगवान् शिव और राजा विक्रमादित्य से लेकर अबतक प्रचलन में आई कठपुतलियों के इतिहास के विषय में चर्चा की। उन्होंने भारत सहित अन्य देशों में प्रचलित कठपुतली शैलियों के विषय में विस्तारपूर्वक बताया। आज की प्रस्तुति में पंचतंत्र की कहानी- परी और लकड़हारा, बोलेन वाली गुफा, जादुई पंख, साँप और सपेरा, तीन ठग, दो सिर वाला लकड़हारा, हाथी और चींटी एवं समझदार कलाकार आदि को दस्ताना और धागा पुतली शैली में प्रदर्शित किया गया।
श्री उपाध्याय ने विज्ञान जागरूकता के लिए साक्षरता अभियान के अंतर्गत वर्ष 1997 में पूना में पुतुल प्रशिक्षण प्राप्त किया और इसके पश्चात् इस कला को सीखने और प्रदर्शित करने का क्रम निरन्तर चला आ रहा है। आपने वेन्ट्रीलाक्विस्ट पुतुल शैली को इन्टरनेट के माध्यम से सीखा, विभिन्न कार्यशालाएँ आयोजित की, इस कला के माध्यम से कई सामाजिक जागरूकता विषयों पर प्रदर्शन कर चुके हैं। श्री उपाध्याय देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर कठपुतली कला का प्रदर्शन कर चुके हैं, श्रीलंका और स्पेन में अंतर्राष्ट्रीय नाट्य समारोह में कठपुतली कला का प्रयोग कर चुके हैं।
श्री उपाध्याय को नाट्य विभूषण और नाट्यश्री एवं अन्य अनेक पुरस्कार प्राप्त हैं।
प्रस्तुति में सुश्री अनिता उपाध्याय एवं श्री लालबाबू- उद्घोषक, धागा कठपुतली संचालन श्री विभाष उपाध्याय, दस्ताना कठपुतली संचालक श्री आकाश वर्मा, श्री नोमेंद्र सिन्हा, श्री राकेश देशमुख, श्री लोकेश वर्मा एवं श्री जितेन्द्र साहू, ध्वनि संयोजन एवं प्रकाश परिकल्पना श्री विभाष उपाध्याय की थी।
गतिविधियों का सजीव प्रसारण संग्रहालय के सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूट्यूब http://bit.ly/culturempYT और फेसबुक पेज https://www.facebook.com/culturempbpl/live/ पर भी किया गया।

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