कला विविधताओं का प्रदर्शन ‘गमक’

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों एकाग्र ‘गमक’ श्रृंखला अंतर्गत आदिवासी लोककला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा श्री अभिषेक निगम और साथी, उज्जैन ने मालवी ‘निर्गुण गायन’ एवं श्री धन्नालाल मीणा एवं साथी, राजस्थान ने भवई लोकनृत्य की प्रस्तुति दी।
प्रस्तुति की शुरुआत श्री अभिषेक निगम और साथियों द्वारा मालवी ‘निर्गुण गायन’ से हुई, जिसमें- संत कबीर, गोरख नाथ जी, मीरा बाई, दास नारायण एवं संत रविदास के भजन प्रस्तुत किये।
प्रस्तुति में मंच पर- सूत्रधार के रूप में श्री दिनेश दिग्गज एवं हारमोनियम पर – पंडित श्री सरल ज्ञानी, वॉयलिन पर श्री देव नारायण सारोलिया, तबले पर- श्री बाबूलाल सूर्यवंशी, तम्बूरे पर- श्री प्रह्लाद गेहलोद, ढोलक पर- श्री विशाल सिंह कुशवाह एवं मंजीरे पर- श्री प्रालब्ध श्रीवास्तव ने संगत दी।
श्री निगम जी विगत 15 वर्षो से शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्रों में कार्य करते आ रहे हैं, आपकी संत वाणी और भक्ति संगीत में बचपन से ही रूचि रही है, भजन गाने की प्रेरणा इन्हे भारत के सुप्रसिद्ध भजन गायक श्री हेमंत चौहान जी से मिली, मालवीय लोक शैली में भजन गाने और सीखने का सानिध्य आपको पद्मश्री श्री प्रह्लाद टिपान्या से मिला, वर्तमान में आप संतवाणी पर कार्य कर रहे हैं और विद्यार्थियों के समक्ष संतो की वाणी का प्रचार-प्रसार करने का प्रयास कर रहे हैं।
दूसरी प्रस्तुति श्री धन्नालाल मीणा और साथियों द्वारा भवई लोकनृत्य की हुई- भवई लोकनृत्य एक संतुलन नृत्य है, जिसमें सर पर मटकियाँ रख कर नृत्य किया जाता है। राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित श्रीनाथद्वारा मंदिर से जल झुलनी एकादसी पर माँ यशोदा भगवान् श्रीकृष्ण के लिए जलवा पूजन के लिए मंदिर के परकोटे से बाहर आती हैं, उस समय जलगड़िया सर पर मटकी रख कर भगवान् को रिझाने के लिए सर पर मटकी रख कर नृत्य करता है, वहीं से लोक कलाकारों ने इसे अपना लिया। देश में रिंग, पेड़ा, अग्नि, ध्वज और मटकी भवई नृत्य प्रचलित हैं।
श्री मीणा विगत पैंतीस वर्षों से भवई नृत्य करते आ रहे हैं, आपकी माँ ही आपकी गुरु हैं। बचपन में अपनी माँ की सेवा के लिए कुयें से पानी की मटकी अपने सर पर रख कर लाते थे और दोनों हाथ छोड़ कर संतुलन बनाने का प्रयास करते थे। श्री मीणा को भवई के लिए दो बार एवं एक बार सरकार की योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए भारत के राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त है।
प्रस्तुति में मंच पर- नर्तक श्री धन्नालाल मीणा (हरिहर बाबा), सहयोगी श्री शांतिलाल प्रजापति एवं गायन – श्री यशवंत चौहान का था। कीबोर्ड पर- श्री देवीदान गन्धर्व, ढोलक पर श्री नरोत्तम रावल और ऑक्टोपैड पर – श्री विष्णु रावल ने संगत दी।
गतिविधियों का सजीव प्रसारण संग्रहालय के सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूट्यूब http://bit.ly/culturempYT और फेसबुक पेज https://www.facebook.com/culturempbpl/live/ पर भी किया गया।

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