कला विविधताओं का प्रदर्शन ‘गमक’

भोपाल। संस्कृति संचालनालय, मध्यप्रदेश द्वारा- मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में 29 सितम्बर से 11 अक्टूबर, 2020 तक आयोजित कला विविधताओं के प्रदर्शन ‘गमक’ के तीसरे दिवस श्री राजीव वर्मा, भोपाल द्वारा ‘कलावार्ता’ के अंतर्गत सिनेमा और रंगमंच समकालीन चुनौती विषय पर चर्चा करते हुए श्री वर्मा ने कहा कि कलाकारों के समक्ष चुनौतियाँ हमेशा रहती हैं, चुनौतियाँ न रहें तो कला निर्जीव हो जाती है। चुनोतियों से लड़ना, कला का परिमार्जन करना, उसका विकास करना, यही हमारी संस्कृति रही है। विपरीतता हमें बहुत कुछ सिखाती है। उन्होंने कहा की कला को हम तीन भागों में बांट सकते हैं- कला स्वयं, कलाकार और दर्शक/श्रोता। श्री वर्मा ने श्रोताओं को सबसे महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा की 99% प्रतिशत कलाकार व्यवसाय की दृष्टि से इस शौक को नहीं अपनाते बल्कि शौक और लगन की वजह से अपनाते हैं, और लम्बे समय तक इससे जुड़े रहने के कारण इसे अपनी रोजी-रोटी का जरिया भी बना लेते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष चुनोतियाँ तो पहले भी बहुत आई हैं लेकिन वर्तमान में जो कोरोना की बजह से हुआ यह रंगकर्म और लोककलाओं के सामने बहुत बड़ी और कठिन स्थिति उत्पन्न करती है। उन्होंने कहा की कला एक ऐसी विधा है, जो जिन्दगी में रस, रंग, संस्कृति और सभ्यता को लाती है। हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति, जो आचार, विचार और व्यवहार से जुडी हुई है, उसका पालन करते हुए संस्कृति कर्म करते रहना चाहिए। श्री वर्मा ने अपने सिनेमा काल के विभिन्न अनुभवों को भी श्रोताओं के साथ साझा किया और रंगकर्मियों तथा सुधि दर्शकों के प्रश्नों का समाधानकारक उत्तर दिया ।

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