भोपाल ।मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित सिने आस्वाद की श्रृंखला में 25 अक्टूबर को कुंदन शाह द्वारा निर्देशित फिल्म ‘कभी हाँ कभी ना’ (1994) का प्रदर्शन हुआ ।
यह एक रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है और एक बहुत सरल और ठेठ प्रेम त्रिकोण की तरह लग सकती है। फिल्म का नायक सुनील (शाहरुख खान) एक खुशमिजाज़ लड़का है जिसे संगीत पसंद है लेकिन पढाई में उसकी रूचि बिल्कुल नहीं है।वह अपनी दोस्त आना (सुचित्रा कृष्णमूर्ति ) को प्यार करता है, लेकिन वो क्रिस (दीपक तिजोरी ) को पसंद करती है । सुनील, आना और क्रिस के बीच उभरते रिश्ते को महसूस करते हुए, दोनों के बीच विवाद पैदा करने और हालात का फायदा उठाने की कोशिश करता है ।आना को जब इस बारे में पता चलता है तो इस विश्वासघात के लिए सुनील से सभी नाराज़ होते है बाद में सुनील को अपनी गलती का एहसास होता है किस्मत उसे एक और मौका देती है । सुनील दोनों को फिर से मिलाने का फैसला करता है और उनकी शादी करवाता है और सभी सुनील को उसकी गलती के लिए माफ़ कर देते हैं ।
यह फिल्म वास्तव में जीवन के बारे में है। कभी-कभी आपको कुछ मिलता है, कभी-कभी आप कुछ खो देते हैं, लेकिन अंत में आप इन परिस्थियों के साथ जीना सीख जाते हैं। कुंदन शाह की यही खूबी थी कि वो आम जीवन के उन कठिन पहलुओं को हल्के अंदाज में दर्शकों के सामने लेकर आये। वह शानदार ढंग से सुनील के जीवन के सभी पहलुओं को चित्रित करते हैं, फिल्म में संवाद अच्छी तरह से लिखे गए हैं और फिल्म यथार्थवादी है। संगीत खूबसूरत है, हालांकि यह फिल्म शाहरुख खान की है, पर सभी कलाकारों का काम शानदार है, और हर अभिनेता- सुचित्रा कृष्णमूर्ति से लेकर महान नसीरुद्दीन शाह तक – सभी ने अच्छा काम किया । यह एक ऐसी फिल्म है जो आपको सिखाती है कि जीवन को अलग तरह से कैसे देखना है। इस फिल्म में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए शाहरुख़ खान को फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवॉर्ड दिया गया ।