विश्व योग एवं संगीत दिवस पर एक दिवसीय समारोह

भोपाल। संगीत और योग दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। योग एवं संगीत व्यक्ति के भीतरी एवं बाहरी जीवन को प्रभावित करते हैं। ये दोनों ही कर्म नकारात्मकता को दूर करते तथा आत्मिक एवं आंतरिक शांति प्रदान करते हैं। भारतीय ज्ञान धाराओं में योग और संगीत का विशेष स्थान है। योगी, ऋषि-मुनि, तपस्वी और आचार्यों ने योग एवं संगीत को ही आधार बनाया है। इसके परस्पर संबंध के चलते ही विश्व में योग को भारत ने प्रतिस्थापित किया है। संस्कृति संचालनालय द्वारा मंगलवार 21 जून, 2022 को विश्व योग दिवस व संगीत दिवस के अवसर पर “नृत्य, गायन एवं वादन” पर केन्द्रित एक दिवसीय समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रजज्वलन से किया गया, इस दौरान संचालक संस्कृति श्री अदिति कुमार त्रिपाठी, उप संचालक सुश्री वंदना पाण्डेय, निदेशक, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी डॉ. धर्मेंद्र पारे के साथ कलाकार  सुश्री मिताली व श्री तेजस विंचूरकर, पुणे, सुश्री अनु सिन्हा दिल्ली, श्री सूर्यप्रकाश श्रीवास्तव, भोपाल उपस्थित रहे।   

समारोह म.प्र. जनजातीय संग्रहालय के सभागार में हुआ, जहां श्री सूर्यप्रकाश श्रीवास्तव, भोपाल द्वारा गायन की प्रस्तुति दी गई। उन्होंने योग जीवन योग रक्षक उससे मिले परमात्मा…, योग दिवस संगीत दिवस है दोनों एक दूजे के पूरक…, अनहद बाजे गुणींजन संग में गावें…, अच्युतम केशवं राम नारायणम…, शंकर महादेव देवक सुर गाते…,  एवं अन्य गीतों की प्रस्तुति दी। मंच पर कोरस गायन पर सुश्री प्रीतम यादव, सुश्री तनु हालेड़े, श्री यशवंत पांडे, कीबोर्ड पर श्री अमित कुमार सीठा, तबले पर श्री रसिक चंद्र द्विवेदी, बांसुरी पर श्री देवराज श्रीवास, ऑक्टोपैड पर श्री प्रदीप ताम्रकार संगत कलाकार उपस्थित रहे।  

दूसरी प्रस्तुति सुश्री मिताली व श्री तेजस विंचूरकर, पुणे द्वारा तबला एवं बांसुरी पर जुगलबंदी की गई। उन्होंने बांसुरी पर राग हेमवती में रूपक ताल बंदिश से अवतारणा की। फिर अगले क्रम में राग हंसध्वनि में द्रुत तीन ताल पर जुगलबंदी की गई। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति का समापन पहाड़ी धुन से किया। कार्यक्रम के दौरान तबला एवं बांसुरी पर जुगलबंदी से कलाकारों ने रागों और बंदिशों से श्रोताओं और दर्शकों को मुग्ध किया।  

समारोह की समापन प्रस्तुति सुश्री अनु सिन्हा एवं ग्रुप, दिल्ली द्वारा कथक समूह नृत्य से की गई। प्रस्तुति की शुरूआत गणेश वंदना प्रथम सुमिरन श्री गणेश…, से की। प्रस्तुति में नृत्यांगना अनु सिन्हा, बृजेश कुमारी और प्रीति शर्मा ने नृत्य प्रस्तुति दी। इसके पश्चात अगली प्रस्तुति ताल धमार पर आधारित शुद्ध नृत्य रही। जिसमें पंडित राजेंद्र गंगानी जी के शिष्यों द्वारा बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुति को दिखाया गया। प्रस्तुति में तोड़े-टुकड़े, तिहाई का प्रयोग किया गया। इस प्रस्तुति में  श्री नवीन जावड़ा, श्री गौरव श्रीधर, श्री करण भास्कर एवं श्री चंचल प्रसाद ने नृत्य किया। तीसरी प्रस्तुति शिव स्तुति पर आधारित रही जो ताल ध्रुपद पर आधारित रही। इस प्रस्तुति में बृजेश कुमारी, प्रीति शर्मा, अनु सिन्हा एवं नवीन, करण चंचल, गौरव ने नृत्य कौशल दिखाया। अगले क्रम में गुरु भजन माला तिलक मनोहर बाना सिर  छत्र धरे ,गुरु बिन ऐसे कौन करे…, एवं प्रस्तुति का समापन रचना सरगम से किया, जो तीन ताल पर आधारित रही। ये रचनायें गुरु पंडित राजेंद्र गंगानी द्वारा रचित हैं।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *