असहाय अफ़गानी नागरिकों को है दुनिया से उम्मीद

तालिबानी इस समय दुनिया के सामने अपनी छवि बदलने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। काबूल में महिलाओं को काम पर जाने एवं बाजार जाने की छूट दी गई है। खबरों के अनुसार तालिबान ने अफ़गान महिलाओं से सरकार में हिस्सेदारी की अपील भी की है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए है।कुछ दिनों पहले ही समाचार पत्रों एवं टीवी चैनलों के माध्यम से ऐसी तस्वीरें सामने आई थी जिसमें दुकानों के ऊपर लगाए गए साइन बोर्ड, फ्लेक्स पर महिलाओं की तस्वीर पर तालिबानी लड़ाके कालीख पोत रहे थे। नागरिकों को सरेराह गोली मारी जा रही थी। इससे अफ़गानी नागरिकों के प्रति तालिबानियों की क्या मंशा है यह जगजाहिर होती है, वही विशेषज्ञा तालिबान की जीत को आतंक प्रसार के रूप में देख रहे हैं। यह किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि लगभग साढ़े तीन लाख अफ़गानी सैनिक बिना लड़े ही हथियार डाल देंगे। अमेरिका जासूसी तंत्र दुनिया में सबसे दक्ष माना जाता है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई भी यह अनुमान नहीं लगा पाया कि इतनी आसानी से काबुल तालिबान के हाथों में होगा। तालिबान भले ही अपनी जीत की खुशियां मना रहा हो लेकिन अफ़गानी नागरिकों पर शासन चलाना उसके लिए आसान नहीं होगा। आम नागरिकों का तालिबानी विरोधी प्रदर्शन आरंभ हो गया है यहां तक कि महिलाओं को भी तालिबानी हुकूमत मंजूर नहीं है। तालिबानी कब्जे के 3 दिन बाद से ही अफ़गानिस्तान में ऐसी तस्वीरें दिखाई दे रही है जहां महिलाएं तालिबानी हथियारबंद लड़ाकों के सामने प्रदर्शन करती दिखाई दे रही है दूसरी ओर अफगानी स्वतंत्रता दिवस पर झंडा लहराते हुए युवा देखे गए हैं। ताजा खबरों के अनुसार राजधानी काबुल से मात्र 100 किलोमीटर की दूरी पर पंजशीर घाटी में तीस हजार अफगानी युवा जिनमें अधिकतर सैनिक हैं तालिबानी लड़ाकों से लोहा लेने के लिए एकत्र हो रहे हैं। इन फौजियों, कबिलाइयों का नेतृत्व 32 वर्षीय आमद मसूद कर रहे हैं जो लंदन में पले बढ़े हैं। ऐसी स्थिति में अफगानिस्तान के जो सहयोगी राष्ट्र रहे हैं उन्हें भी सहायता के लिए अपने प्रयास जारी रखना चाहिए। अमेरिका के साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष होने के नाते भारत को भी इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। ऐसा माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में यदि कोई संदेहास्पद गतिविधियां होती है तो उसके दुष्प्रभावों से पाकिस्तान और भारत दोनों अछूते नहीं रहेंगे। एक तालिबानी प्रवक्ता के अनुसार तालिबान अफगानिस्तान में भारत द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करता कर रहा है। कश्मीर को भी वह भारत का आंतरिक मामला बताता है। इस समय सहायता के लिए पुरी दुनियां की ओर ताकती अफगानी जनता के बीच सहयोगी राष्ट्रों द्वारा किए जा रहे प्रयास की खबर ही उम्मीद की किरण बन सकती है।

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