अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर लोकरुचि व्याख्यानमाला

भोपाल। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस 2020 के अवसर पर संग्रहालय लोकरुचि व्याख्यानमाला के अंतर्गत, दिनांक 18 मई, 2020 को अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद द्वारा सुझाए गए विषय ‘मानव शास्त्रीय संग्रहालय समावेश और विविधता की अभिवृद्धि के कारक है।’ को ध्यान में रखते हुए समुदायों में सक्रिय कर्ताओं के रूप में संग्रहालय की नवीन भूमिका पर केंद्रित कार्यक्रम को विश्व विख्यात संग्रहालयविद, प्रोफेसर अमरेश्वर गल्ला (निदेशक, अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद, गुजरात) ने ऑनलाइन संबोधित किया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रो. गल्ला का परिचय देते हुए संग्रहालय के निदेशक, डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने कहा कि प्रो. अमरेश्वर गल्ला अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद में समावेशी सांस्कृतिक नेतृत्व के अंतरराष्ट्रीय केंद्र के निदेशक तथा समावेशी सांस्कृतिक नेतृत्व के प्रोफेसर हैं। आप इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर द इंक्लूसिव म्यूजियम,ऑस्ट्रेलिया के संस्थापक कार्यकारी निदेशक है। आप अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद के भूतपूर्व उपाध्यक्ष तथा आइकॉम के एशिया प्रशांत कार्यकारी मंडल के भूतपूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं।

निदेशक महोदय ने इस अवसर पर अपने सन्देश में कहा की अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस की स्थापना का उद्देश्य आम जनता में संग्रहालयों के प्रति जागरुकता फैलाना और उन्हें संग्रहालयों में जाकर अपने इतिहास एवं संस्कृति को जानने के प्रति जागरुक बनाना है।अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल के बड़े-छोटे, निजी और शासकीय ,सामुदायिक, कला और विज्ञान के सभी संग्रहालयों और संस्कृति प्रेमियों को संग्रहालयों पर कोरोना वायरस (कोविड-19) का प्रभाव से उपजी स्थिति में परंपरा और भविष्य के बीच संवाद स्थापित करने में भागीदारी हेतु आमंत्रित करता है।

प्रोफेसर अमरेश्वर गल्ला ने ऑनलाइन वाया फेसबुक वाच लाइव में संबोधित करते हुए कहा की दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आ रहे आंकड़ों से पता चलता है कि कोविद -19 का वनों की कटाई और पर्यावरण प्रदूषण के अन्य कारकों के साथ कुछ संबंध है। मानव संग्रहालय ही, दुनिया के एकमात्र संग्रहालय में से एक है जो पुरातात्विक अतीत को नृवंशविज्ञान वर्तमान के साथ जोड़ कर प्रस्तुत करता है। वर्तमान समय की स्थिति में आमतौर पर 20% मध्यम वर्ग के लोग संग्रहालय में पहुँच पाते हैं। बाकी 80% लोगों से जुड़ने के लिए संग्रहालयों को समुदायों के साथ नैतिक रूप से काम करना पड़ता है और अनुसंधान इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस हेतु अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा प्रकाशित संग्रहालयों के विषय पर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं जिनका भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए ताकि भारत के सभी संग्रहालय इस शोध अध्ययन एवं दस्तावेजो का अधिक से अधिक लाभ उठा सकें।

उन्होंने एक श्रोता के डिजिटल म्यूजियम पर प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा की जैसा एक बंद पुस्तक पत्थर के ब्लाक के सामान है उसी तरह डिजिटल संग्रहालय के प्रदर्शों का है। लोगों को संग्रहालय की वस्तुओं के बारे में समझने के लिए संग्रहालयों को पारंपरिक तरीके से जुड़ाव रखना होगा। यह एक मौलिक बदलाव होगा,और मानव संग्रहालय समुदायों के मध्य कार्य करने एवं उन्हें जोड़कर रखने का एक आकर्षक उदाहरण है। भारत के संग्रहालयों के पास कलाकारों और समुदायों के साथ जुड़ने के व्यापक अवसर हैं| एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा की सरकार संग्रहालयों को आपने प्राथमिकता सूचि में निम्न स्थान में रखता है,जबकि यह संस्कृति के महत्वपूर्ण स्थम्भों में एक है ? प्रो गल्ला ने कहा की सर कारी क्षेत्र में संग्रहालयों के दृष्टिकोण की उचित रूप से वकालत की जानी चाहिए। ई म्यूज़ियोलॉजिस्ट का एक पेशेवर निकाय होना चाहिए जो सरकार के साथ जुड़ कर, अपने दृष्टिकोण को ठीक से संवाद करना और अपनी बात रख कर इस दिशा में लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में फेसबुक के माध्यम से जुड़े 2144 लोगो को धन्यवाद दिया और लगभग 8000,लोगो ने इस कार्यक्रम को देखा इसके लिए उन्होंने आभार व्यक्त किया।

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