इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में इस सप्ताह का प्रादर्श है – ‘गाड़ी’

भोपाल। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के नवीन श्रृंखला ‘सप्ताह का प्रादर्श’ के अंतर्गत अगस्त माह के द्वितीय सप्ताह के प्रादर्श के रूप में राजस्थान के गाडोलिया लोहार समुदाय की पारंपरिक बैलगाड़ी “गाड़ी” को दर्शकों के मध्य प्रदर्शित किया गया।

इस सम्बन्ध में संग्रहालय के निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने बताया की कोविड-19 महामारी के प्रसार के कारण दुनिया भर के संग्रहालय बंद है लेकिन यह सभी अपने दर्शकों के साथ निरंतर रूप से जुड़े रहने के लिए विभिन्न अभिनव तरीके अपना रहे हैं। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय ने भी इस महामारी द्वारा प्रस्तुत की गई चुनौतियो का सामना करने के लिए कई अभिनव प्रयास प्रारंभ किए है। अपने एक ऐसे ही प्रयास के अंतर्गत मानव संग्रहालय ‘सप्ताह का प्रादर्श’ नामक एक नवीन श्रृंखला प्रस्तुत कर रहा है। पूरे भारत से किए गए अपने संकलन को दर्शाने के लिए संग्रहालय इस श्रंखला के प्रारंभ में अपने संकलन की अति उत्कृष्ट कृतियां प्रस्तुत कर रहा है जिन्हें एक विशिष्ट समुदाय या क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास में योगदान के संदर्भ में अद्वितीय माना जाता है। यह अति उत्कृष्ट कृतियां संग्रहालय के ‘AA’और ‘A’ वर्गों से संबंधित हैं। इन वर्गों में कुल 64 प्रादर्श हैं।

गाडोलिया लोहार घुमंतु समुदाय हैं और मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी महाराष्ट्र और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं। ये पारंपरिक रूप से तय मार्ग पर एक से दूसरे गांव आते जाते रहते हैं। इस समुदाय में गाड़ी एक परिवार के लिए उनका आवास भी है, जिसमें उनके जीवन यापन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएं होती हैं। यह समुदाय कुछ दिनों के लिए एक गाँव में डेरा डालते हैं और इस दौरान न केवल नए औजार बनाते हैं, बल्कि ग्रामीणों के लोहे के पुराने औजारों की मरम्मत भी करते हैं।

गाडोलिया लोहार की बैलगाड़ी अन्य ग्रामीणों की बैलगाड़ी की तुलना में भारी और मजबूत होती है। इसके निर्माणक तत्व ‘थालिया’ व ‘पीचला’ में निहित होते हैं। ‘थालिया’ गाड़ी के अगले भाग में एक बड़ी और तिकोनी आलमारीनुमा संरचना होती है, जो लकड़ी के तख्तों से सभी तरफ से ढकी होती है। इसके पीछे की तरफ एक छोटा दरवाजा होता है। ‘पीचला’ अर्थात गाड़ी के मध्य और पीछे का भाग एक बड़ा घनाकार कक्ष होता है जो ऊपर से खुले और एक दूसरे से जुड़े तीन दीवारों से घिरा होता है जिससे कि उसमें रखी वस्तुएं बाहर ना गिरे।

दर्शक इस का अवलोकन मानव संग्रहालय की अधिकृत साईट (https://igrms.com/wordpress/?page_id=734) तथा फेसबुक (https://www.facebook.com/onlineIGRMS) पर के अतिरिक्त इंस्टाग्राम एवं ट्विटर के माध्यम से घर बैठे कर सकते हैं।

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