भोपाल। कोरोना वायरस (कोविड-19) के प्रभाव से उत्पन्न कठिन चुनौतिपूर्ण समय में जनता को संग्रहालय से ऑनलाइन के माध्यम से जोड़ने एवं उन्हें संग्रहालय के ऐतिहासिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के बारे में गहरी समझ को बढ़ावा देने के उद्देश से इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा शरू की गई नवीन श्रृंखला ‘सप्ताह का प्रादर्श’ के अंतर्गत जुलाई माह के प्रथम सप्ताह के प्रादर्श के रूप में दीमापुर, नागालैंड के कोनयक नागा जनजाति / समुदाय के नागा प्रमुख की पत्नी का हार ‘रानीमाला’ को दर्शकों के मध्य प्रदर्शित किया गया।
कोनयक नागाओं में रानीमाला एक महिला के गौरव, गरिमा और सामाजिक प्रस्थिति का प्रतीक आभूषण है। इसका शाब्दिक अर्थ है रानी का हार। परंपरागत रूप से इस तरह का भारी आभूषण कोनयक नागा जनजाति की संस्तरण युक्त सामाजिक प्रणाली को चिह्नित करता है। मुखिया (आंग) की पत्नी पीतल के लटकते बुंदे, घंटियों और समुद्री सीप से समृद्ध आभूषणों को बड़ी प्रवीणता से पहनती थी। हार में सेरामिक और कांच के पुराने मनके शामिल हैं, जिन्हें वांग्शा के नाम से जाना जाता है। नीले, काले और सफेद मनकों की विभिन्न आकृतियाँ पाँच धागों में पिरोई गई हैं, जिनमें तीन पेंडेंटस हैं। इसमें लाल, नीले और काले रंग के छोटे मनकों की एक चौड़ी पट्टी भी है, जिसमें जिंगल और घंटियाँ लटक रही हैं। इस तरह के पेंडेंटस उन कोनयक योद्धाओं में बहुत प्रचलित हैं जो इन्हें वक्ष आभूषण के रूप में धारण करते हैं जो उनके द्वारा किए गए शिरोच्छेद के कारण प्राप्त प्रस्थिति को दर्शाता है। पेंडेंट की सतह पर बिंदीदार आकृतियां उनके गोदना के निशान को दर्शाती है, जबकि घुमावदार आकृति जंगली सूअर के दांत का प्रतिनिधित्व करती है। वे अपने सामाजिक समारोहों, त्योहारों और विवाह समारोहों के दौरान इसे पहनते हैं। मूल्यवान आभूषणों से भरा हुआ यह आकर्षक हार एक मुखिया की पत्नी की प्रस्थिति को और गौरवान्वित करता है और नागा समाज में बनाए गए सामाजिक पदानुक्रम और सम्मान को दर्शाता है।
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