भोपाल। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा वर्तमान विश्वव्यापी कोरोना संकट काल में संग्रहालयों के सक्षम आई अनेक चुनौतियों के सामने करने के लिए संग्रहालय द्वारा अपनी लोकप्रिय श्रृंखला संग्रहालय लोकरुचि व्याख्यान माला के अंतर्गत श्री सिद्धांत शाह, संस्थापक, एक्सेस फार आल के द्वारा वर्तमान कोविड-19 स्थिति सार्वजनिक स्थलों को कैसे अधिक समावेशी और सुगम बनाएगी ? इस विषय पर ऑनलाइन माध्यम से विस्तार जानकारी दी कार्यक्रम के प्रारंभ में संग्रहालय के निदेशक डॉ प्रवीण कुमार मिश्र ने वक्ता का परिचय देते हुए बताया कि सिद्धांत शाह एक प्रखर वक्ता, समावेशी कला आधारित चिकित्सक तथा सुगम्य पहुंच के लिये यूनेस्को सलाहकार के साथ साथ सांस्कृतिक धरोहर, कला और वेलनेस तथा दिव्यांगता के मध्य अंतर को भरने में विशेषज्ञता भी रखते हैं। आप दृष्टिहीनों और अन्य प्रकार के विकलांगों के लिए सुलभ डिजाइंस, शैक्षणिक और स्पर्श कला अनुभवों के माध्यम से होटलो, महलो, संग्रहालयों, कला आयोजनों, कला दीर्घाओं और सांस्कृतिक स्थलों को अधिक सुगम्य बनाने के लिए परामर्श देते हैं। आप बच्चों और दिव्यांगों को केंद्र में रख कर ब्रेल पुस्तक, स्पर्श कला प्रादर्श इत्यादि के सहयोग से आधारभूत संरचना उपलब्ध कराते हैं।
अपने ऑनलाइन व्याख्यान मे मुंबई निवासी श्री सिद्धांत शाह ने संबोधित करते हुए कहा कि कोविड19 महामारी के कारण दुनिया भर के संग्रहालय बंद है पर इस समय हम इसे चुनौती के रूप में लेकर इसे अवसर में बदल सकते हैं। दर्शकों के संग्रहालय भ्रमण के दौरान होने वाली कठनाइयों जैसे रैम्प बनाना, सुगमता पूर्वक चलने के लिए दिशाओं युक्त निर्देश वाले साइनेज, ब्रेल साइनेज, जैसी सुविधाओं को स्थापित करने का सही समय है। उन्होंने अपने पांच प्रगतिशील विचारों से लोगों को अवगत कराते हुए कहा कि पहला, दृष्टि बाधित दर्शकों के सुगमतापूर्वक विचरण के लिए प्रदर्शों को एवं अन्य चीजों को एक दिशात्मक बनाकर रखने और चिन्हित करने से रास्ता आसान हो जायेगा। दूसरा, व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं को स्वतंत्र रूप से घुमने के लिए सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनाये रखना काफी आरामदायक हो सकता है। क्योंकि एक दूसरे से बफर स्थान बनाने के लिए 900 मी.मी. का अंतराल की आवश्यकता होती है। तीसरा, दर्शक अभी संग्रहालय नहीं आ पा रहे है तो संग्रहालय को दर्शकों तक पहुंचाने के लिए वर्तमान में टेक्नोलॉजी का उपयोग कर वेबसाइट सोशल मीडिया, फेसबुक, टीममिटिंग, वेबिनार, ज़ूम मीटिंग के माध्यम से संग्रहालय को जनता तक पहुँचाया जा सकता है। चौथा, आज दुनिया में डिजिटल पहुंच का अत्यधिक महत्व है, सभी लोग एक स्पर्श मुक्त (टच फ्री) माध्यम की ओर बढ़ रहे हैं इसके लिए फ़ोन और लैपटॉप मुख्य प्रवेश द्वार है, इसलिए दृष्टि बाधितों आत्मकेंद्रित तथा अन्य अक्षमताओं के साथ सभी के लिए संग्रहालय को सुलभ बनाने का महत्वपूर्ण अवसर है। पाँचवा, मानव संग्रहालय – मानवता का संग्रहालय है, और आप सब को मालूम है कि मानवता की सबसे बड़ी विशेषता है, एक दूसरे के संपर्क (टच) में रहना इस कठिन समय में एक दूसरे को जोड़ने का प्रयास करें हमेशा एक दूसरे की जानकारी लेते रहें,मानव संग्रहालय अपने कार्यक्रमों के माध्यम से पूरे विश्व समाज को डिजिटल रूप से जोड़कर मानव समाज के हित कार्य कर रहा है, इसी तरह सभी संग्रहालयों को जनहित में काम करना चाहिए।