‘गमक’ अंतर्गत ‘भक्ति संगीत’ एवं बुन्देली लोक नृत्य की हुई प्रस्तुति

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों एकाग्र ‘गमक’ श्रृंखला अंतर्गत आदिवासी लोककला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा इंटरनेशनल रिदम् भक्ति ग्रुप के कलाकार श्री राजेश मिश्रा और साथी, इंदौर द्वारा ‘भक्ति संगीत’ एवं श्री मयंक तिवारी एवं साथी, सागर द्वारा बुन्देली लोक नृत्य की प्रस्तुति हुई।
प्रस्तुति की शुरुआत श्री राजेश मिश्रा और साथियों द्वारा ‘भक्ति संगीत’ से हुई, जिसमें उन्होंने माता शारदा का भजन ‘शारदा भवानी हो माँ’, मेरा आपकी कृपा से, एक डाल दो पंछी, सारे तीरथ धाम आपके, सुबह सुबह ले शिव का नाम, हे दुःख बंधन, अयोध्या करती हे आव्हान, सीताराम दरस, साईं बाबा बोलो एवं माता रानी के भजन आदि की प्रस्तुति दी|
प्रस्तुति में मंच पर- गायन- प्रकाश जी इंदौरी, सहगायन- रमेश सेन एवं ऑक्टोपेड पर-राजेश मिश्रा, कीबोर्ड पर- नरेश सिंह, ढोलक पर- शुभम् लुनियार एवं परकशन पर-अजय गौड़ ने संगत दी|
इंटरनेशनल रिदम् भक्ति ग्रुप विगत बीस वर्षों से सांगीतिक प्रस्तुति देता आ रहा है, लन्दन, स्कॉटलैंड, कम्बोडिया एवं देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी सफल प्रस्तुति दे चूका है,
दूसरी प्रस्तुति श्री मयंक तिवारी और साथियों द्वारा बुन्देलखण्डी नृत्य ‘बधाई एवं बरेदी’ की हुई जिसमें- ढोलक पर- श्री धर्मेन्द्र वेन, नगड़िया व तोरा पर- श्री रतीराम, बाँसुरी पर श्री सुयष एवं गायन पर श्री मयंक विश्वकर्मा थे और सुश्री विनीता दोहरे, शिवानी चौरसिया, मधुवाला नामदेव, काघोस गुप्ता, करिश्मा गुप्ता, राजेश जाट, शुभम कोरी, अजय कुशवाहा, शिवा यादव, आकाश सेन, खेमराज, हेमंत एवं सोमेश ने नृत्य में भागीदारी की|
बधाई बुन्देलखण्ड का प्रसिद्व लोकनृत्य है, बधाई नृत्य खुशी के अवसर पर देवी देवताओं के समक्ष शादी विवाह के अवसर पर किया जाता है। इसमें नृत्य में लोक गायन एवं लोक वाद्य ढपला, नगङिया, लोटा, ढोलक एवं बाँसुरी आदि वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है।
बरेदी नृत्य- मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड अंचल का प्रमुख जातिगत नृत्य है| यह नृत्य अहीर समुदाय द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, इस नृत्य में नर्तक भगवान् श्री कृष्ण की वाल अवस्था से लेकर युवा अवस्था तक की लीलाओं का वर्णन नृत्य के माध्यम से करते हैं, यह नृत्य दीपावली के दुसरे दिन से पूर्णिमा तक किया जाता है।
गतिविधियों का सजीव प्रसारण संग्रहालय के सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूट्यूब
http://bit.ly/culturempYT और फेसबुक पेज https://www.facebook.com/culturempbpl/live/ पर भी किया गया|

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