भील जनजातीय नृत्य ‘भगोरिया और डोहा’ की हुई प्रस्तुति

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा पारम्परिक संगीत की श्रृंखला ‘उत्तराधिकार’ में मध्यप्रदेश की भील जनजाति के नृत्य ‘भगोरिया और डोहा’ की प्रस्तुति का प्रसारण संग्रहालय के यूट्यूब चैनल http://bit.ly/culturempYT पर हुआ।

भील मध्यप्रदेश की झाबुआ, अलीराजपुर, धार और बड़वानी क्षेत्र में निवास करने वाली प्रमुख जनजाति है। फागुन मास में होली के सात दिन पूर्व से आयोजित होने वाले हाटों में पूरे उत्साह और उमंग के साथ भील युवक एवं युवतियों द्वारा पारंपरिक रंग-बिरंगे वस्त्र, आभूषण के साथ नृत्य किया जाता है, जिसे भगोरिया नृत्य कहते हैं। फसल कटाई के पश्चात् वर्षभर के भरण-पोषण के लिए समुदाय इन हाटों में आता है। भगोरिया नृत्य में विविध पदचाप समूहन पाली, चक्रीपाली तथा पिरामिड नृत्य मुद्राएँ आकर्षण का केंद्र होती हैं। रंग-बिरंगी वेशभूषा में सजी-धजी युवतियों का श्रृंगार और हाथ में तीरकमान लेकर नाचना ठेठ पारंपरिक व अलौकिक संरचना है।
डोहा मान्यता से सम्बंधित उत्सव है। मनोकामना पूर्ण होने पर दीपावली के समय पांच दिन तक घर-घर जाकर डोहा खेला जाता है। गाँव के युवक-युवतियाँ रात्रि में घर-घर जाकर ढोल, थाली और पावली की धुन पर नृत्य गान करते हैं।

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