विविध कलानुशासनों की गतिविधियों का ऑनलाइन प्रदर्शन

भोपाल । मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की विभिन्न अकादमियों द्वारा कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों पर एकाग्र श्रृंखला ‘गमक’ का ऑनलाइन प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर किया जा रहा है। श्रृंखला के अंतर्गत संस्कृति संचालनालय की ओर से जबलपुर के इंद्र पाण्डेय एवं साथियों ने लोक गायन और इंदौर की अनुषा जैन ने ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का प्रसारण विभाग के यूट्यूब चैनल https://youtu.be/sSunjPQ1-hI और फेसबुक पेज https://www.facebook.com/events/958770221647954/?sfnsn=wiwspwa पर लाइव प्रसारित किया गया।
प्रस्तुति की शुरूआत इंद्र पांडेय एवं साथियों द्वारा लोकगायन की हुई। जिसमें कलाकारों ने बंबुलिया गीत- नर्मदा मैया ऐसी तो मिली रे ऐसी तो मिली रे जैसे मिल गए महतारी और बाप रे…, श्रीकृष्ण पर आधरित लोकगीत- जन्म लिहिन हो कन्हाई हमार घर बजे बधाई…, ददरिया – रात रुक जा चिरिया सबेरे जाना यार रात रुक जा…, गीतों का गायन किया। वहीं कलाकारों ने गाड़ी वान मोरे सैयां गाड़ी जल्दी हांको रे…, एवं काया गीत- जा दिन हँसा निकल जाएगा का गत हुईये ऐ तन की…, गीतों की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति में इंद्र पाण्डेय, भवानी दास, भारत प्रसाद, मिथुन चक्रवर्ती, संजय पाण्डेय ने गायन किया। वहीं ढोलक पर शिव प्रसाद, नगडिया पर मोहन अहिरवार, हारमोनियम पर डब्बलू प्रसाद ने संगत की।
दूसरी प्रस्तुति इंदौर की अनुषा जैन द्वारा ओडिसी नृत्य की हुई। उन्होंने शुरूआत पल्लवी नृत्य से की। यह प्रस्तुति राग आरबी, ताल एक ताली और जाति चतुश्रा पर आधारित रही। प्रस्तुति का संगीत संयोजन पंडित भुवनेश्वर मिश्रा ने किया है। पल्लवी नृत्य का भाव यह है कि कोमल भाव से विकास होना या पल्लवित करना । इसमें गायन शैली और नृत्य दोनों ही कोमल होते है। इसमें ताल और छंद को भी प्राधानता दी जाती है। दूसरी प्रस्तुति मोहना पल्लवी नृत्य की दी। जो राग मोहना, ताल त्रिपटा, जाति मिश्र पर आधरित रही। इसके बाद अंतिम प्रस्तुति मोक्ष नृत्य की हुई। इसमें ताल एक ताली और जाति चतुश्रा रही।

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