हिन्दुस्तान में सबका ख्याल रखने का वादा निभाता – भारत

– विनोद नागर

सलमान बॉलीवुड के ऐसे विलक्षण खान सितारे हैं, जो अपनी फिल्मों से ज्यादा अपने स्वभाव, जीवन शैली और पारिवारिक प्रतिबद्धता के कारण सुर्खियों में बने रहते हैं. शाहरुख की तरह उन्होंने भी बरसों से ईद पर वर्ग विशेष के सिनेमाई उत्साह को बॉक्स ऑफिस पर भुनाने का एजेंडा सेट कर रखा है. अलबत्ता आमिर अपनी प्रयोगधर्मी छवि के चलते प्रायः इन हथकंडो से दूर रहे हैं. वैसे भी कला और कलाकार की ख्याति जाति, धर्म और सम्प्रदाय के दायरों से कई गुना ऊपर उठकर ही उन्हें सही पहचान दिलाती है। बॉलीवुड में हाल के वर्षों में कॉर्पोरेट कल्चर ने भारतीय फिल्मोद्योग की सभी पुरानी परम्पराओं को झंझोड़कर रख दिया है. महान फिल्मकार राजकपूर द्वारा स्थापित आरके स्टूडियो का महज बेशकीमती प्रॉपर्टी के रूप में बिक जाना इसकी ताजा मिसाल है. लगता है शुक्रवार को नई फिल्मों के रिलीज होने का रिवाज भी अब खत्म होने के कगार पर है. सलमान खान की अली अब्बास जफर निर्देशित भारत’ शुक्रवार से दो रोज पहले ईद पर उस दिन प्रदर्शित हुई जब विश्व कप क्रिकेट में भारत का पहला मैच दोपहर डेढ़ बजे से सबको टीवी पर आँखें गड़ाने के लिये विवश कर रहा था। अब जबकि रिलीज के चौथे ही दिन ‘भारत’ ने सलमान को चौदहवीं बार सौ करोड़ से अधिक कमाई करने वाली हिंदी फिल्मों के तथाकथित क्लब में चौदहवीं का चाँद बना दिया है, यह कामयाबी सर चढ़कर बोलनेवाली है। फ्यूज ट्यूबलाइट’ की क्षतिपूर्ति कर भारत’ की आशातीत कमाई ने निर्माताओं की झोली भर दी है. विभाजन की त्रासदी झेलते भारत’ का राष्ट्र के साथ यह समकालीन सफर बजरंगी भाईजान’ द्वारा मासूम बेजुबान बच्ची को पड़ौसी मुल्क में उसके घर पहुंचाने के रोमांचक सफर की तरह ही मानवीय संवेदनाओं से भावनात्मक स्तर पर दर्शकों से तादात्म्य कायम करता हैं गिने चुने लोगों ने ही दक्षिण पूर्व एशिया में कोरिया के विभाजन की त्रासदी पर बनी दक्षिण कोरियाई फिल्म ऑड टू माय फादर’ (2014) देखी होगी, जिसके पुनर्निर्माण के अधिकार खरीदकर बाकायदा भारत’ बनी है. ‘मुझसे शादी करोगी’ में सलमान की नायिका रहीं प्रियंका चोपड़ा ने शादी के फेर में यह फिल्म छोड़कर सबको चौंका दिया था। पर कटरीना कैफ ने बिना शादी किये पेशेवर रवैया अपनाकर मैदान मार लिया। फिल्म की कहानी पुरानी दिल्ली में एक बुजुर्ग दुकानदार भारत (सलमान खान) से मॉल के लिये दुकान का सौदा करने आये प्रॉपर्टी व्यवसायी को उलटे पाँव लौटाने की हिमाकत से शुरू होती है। सिद्धांतवादी लेकिन अविवाहित भारत का 70 वां जन्मदिन मनाने उनका भरा पूरा परिवार वाघा बॉर्डर के अटारी रेलवे स्टेशन पहुँचता है. वहां चहलकदमी करते हुए भारत परिवार की नई पीढ़ी को अपने अतीत से जुड़े अलग अलग कालखंडों की दिलचस्प कहानियां सुनाता है। वह बताता है कि कैसे 1947 में भारत पाक विभाजन के दौरान रेलवे स्टेशन पर दंगाइयों से घिरे उसके पिता गौतम (जैकी श्राॉफ) और बहन उससे बिछुड़ गए। बिछड़ते समय पिता ने भारत को दिल्ली में अपनी बहन और बहनोई का पता देते हुए कातर स्वर में बेटे से सबका ख्याल रखने का वादा लिया। परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए भारत ने युवावस्था में ग्रेट रशियन सर्कस में काम किया और मौत के कुए में बाइक चलाकर वहां हैरतंगेज काम करने वाली राधा (दिशा पटानी) का दिल भी जीता। सर्कस में एक दर्दनाक हादसे के बाद मन उचटने पर भारत अपने दोस्त विलायती (सुनील ग्रोवर) के साथ नई नौकरी की तलाश में निकलता है. अरब देशों में तेल की खोज के बाद वहां काम के लिये जाने वाले भारतीय कामगारों में चयन हो जाने पर कंपनी की सुपरवाइजर कुमुद रैना (कटरीना कैफ) उन्हें वहां ले जाती है। भूकंप से टनल फटने के जानलेवा हादसे में सुरक्षित बच निकलने व वीजा खत्म होने पर भारत स्वदेश लौट आता है. बहन की शादी में कुमुद भी शामिल होती है और बेहिचक भारत से अपने प्यार का इजहार कर माँ की सहमति से लिव इन में रहने का फैसला करती है। इस बीच भारत के हाथ से रेलवे में स्टेशन मास्टर बनने का अवसर निकल जाता है, पर मर्चेंट नेवी में नौकरी मिलते ही कार्गो शिप पर फिर उसका सामना समुद्री तूफान तथा सोमालिया के खतरनाक लुटेरों से होता है। मर्चेंट नेवी से रिटायर होकर वह दिल्ली में अपनी बुआ फूफा की पुरानी संभालता है। इस बीच कुमुद टीवी में न्यूज रीडर होते हुए चौनल की क्रिएटिव हेड बन जाती है. वह अपने नए प्रोग्राम के जरिये भारत पाक के बिछड़े लोगों को मिलाने की कोशिश करती है। इस कवायद में भारत को उसके पिता तो नहीं मगर वर्षों पूर्व बिछड़ी बहन गुडि़या (तब्बू) जरुर मिल जाती है। फिल्म की तेज गति और प्रवाह दर्शकों को ‘भारत’ के साथ समकालीन भारत की यात्रा में बहा ले जाता है। विशाल कैनवास के बावजूद अली अब्बास जफर की कसी हुई पटकथा और सधा हुआ निर्देशन दर्शकों को बांधे रखता है. उन्होंने न केवल विभाजन के मार्मिक दृश्यों का बल्कि पंजाब, दिल्ली सहित अबूधाबी, माल्टा व स्पेन में शानदार फिल्मांकन किया है. गांधी, नेल्सन मंडेला और अमिताभ बच्चन के फिल्मी गीतों पर डांस के बहाने सोमालिया के समुद्री लुटेरों के आतंक और बातचीत से हर मुश्किल का हल ढूँढने का प्रसंग रोचक बन पड़ा है. क्लाइमेक्स में सात दशक बाद बिछड़ों को मिलाने की हसरत वाला टीवी शो तर्क सम्मत नहीं लगता। अच्छा हुआ जो सलमान खान ने भारत के किरदार को मनोज कुमार की छवि से पूरी तरह मुक्त रखा, वर्ना ओम शांति ओम में शाहरुख होम करते हाथ जला चुके हैं. बाइकर्स के हमले वाले सीन को छोड़कर उन्होंने पूरी फिल्म में एक्शन से परहेज किया है. कटरीना कैफ ने पहली बार ग्लैमरस रोल का मोह छोड़कर मैडम सर की गंभीर भूमिका में ढालने का सराहनीय प्रयास किया है. दिशा पटानी अपनी सौम्य लेकिन चंचल मुस्कान से माधुरी दीक्षित के रूप लावण्य की याद दिलाती हैं. सुनील ग्रोवर का स्टैंड अप कॉमेडी जॉनर से बाहर निकलना स्वागत योग्य है. सहायक भूमिकाओं में जैकी श्राॉफ, तब्बू, सोनाली कुलकर्णी, सतीश कौशिक, नोरा फतेही, कुमुद मिश्रा, ब्रजेन्द्र काला ठीकठाक हैं. भाभीजी घर पर हैं’ वाले आसिफ शेख ताजगी का अहसास कराते हैं. इरशाद कामिल रचित गीतों में से स्लो मोशन, चाशनी और जिंदा को ही विशाल शेखर का संगीत थोड़ी बहुत लोकप्रियता दिला सका है। फिल्म के एक दृश्य में भारत और उसके साथी एकाएक राष्ट्र गान ‘जन गण मन’ गाना शुरू कर देते हैं. बिना पूर्व सूचना के परदे पर अचानक राष्ट्र गान प्रारंभ हो जाने से दर्शकों में अपने स्थान पर खड़े होने की हड़बड़ी मच जाती है (क्योंकि फिल्म शुरू होने से पूर्व नियमानुसार वे राष्ट्र गान के लिये एक बार खड़े हो चुके होते हैं). बेहतर होता यदि सेंसर सर्टिफिकेट के फौरन बाद दर्शकों (खासकर बुजुर्ग एवं निशक्तजनो की सुविधा के लिये) यह ताकीद कर दी जाती कि फिल्म के फलां प्रसंग में पूरा राष्ट्रगान परदे पर आएगा अतः अपने स्थान पर खड़े होने के लिये चौतन्य रहें. वरुण वी शर्मा के लिखे संवाद सतही हैं- दुनिया में जितने लोग हैं, उतनी कहानियां हैं.. जितना मैंने पाया है उससे कहीं ज्यादा खोया है.. ये हमारे साले साहब हैं और बहुत बड़े वाले हैं.. ये देश इंसानियत और जमीर पर खड़ा हुआ है.. अगर तुम सही रास्ते पर हो तो अगली पिटकर मत आना.. किसी भी राधा को उसका कृष्ण नहीं मिलता.. मुझे साड़ी में देखकर हलके में मत लेना.. बस चाचा भारत ने बचा लिया.. ऊपर वाले ने तुम्हे इंसान पैदा किया है भगवान बनने की कोशिश मत करो.. किसी को वो सपने नहीं दिखाना चाहिए जो पूरे न हो सकें.. उस वादे की उम्मीद में ही तो मैं और माँ अभी तक जिंदा हैं.. जो तेरे सामने हैं और तेरे साथ खड़े हैं उनकी तुझे कद्र नहीं है.. ये नया भारत है और मैं पुराना हो गया हूँ.. उम्मीद दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है.।
साभार – सुबह सवेरे

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