भोपाल। रविवार को मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय में पंकज सोनी द्वारा लिखित एवं संजय सिंह जादौन द्वारा निर्देशित नाटक जहर का मंचन हुआ। यह प्रस्तुति नाट्य विद्यालय द्वारा स्टूडेंट्स को दी जाने वाली अध्ययन अनुदान योजना के तहत हुई। नाटक में दिखाया गया कि जहर ही जहर को मारता है। यह कहावत भले पुरानी है, लेकिन आज के परिदृश्य में भी सटीक बैठती है। आज भी जब एक व्यक्ति के मन में दूसरे के प्रति घृणा पैदा हो जाती है, तो उसे दूर करने के लिए उसके साथ वैसा ही बर्ताव किया जाता है। जिससे उस इंसान के मन में घृणा कम हो और वह सही रास्ते पर आ सके। मेडिकल वाला चाय पिलाकर कहता है इसमें जहर है, तब बदलती है मनोदशा नाटक की कहानी एक केमिस्ट की दुकान से शुरू होती है। जहां एक चित्त पड़े व्यक्ति को एक अन्य व्यक्ति खींचता है। लोगों को लगता है कि यह कोई हत्यारा है और लाश को खींचकर ले जा रहा है। लोग इस सवाल के जवाब की तलाश में उलझे होते हैं, इतने में ही केमिस्ट की दुकान पर एक ग्राहक आता है और उससे जहर मांगता है। केमिस्ट थोड़ा चिंतित हो जाता है, उसे युवक की जान खतरे में नजर आती है तो वह उसको चाय पिलाता है और पूछता है जहर क्यों ले रहे हो। इसके बाद वह व्यक्ति बताता है कि उसे जहर, अपनी पत्नी को मारने के लिए चाहिए। केमिस्ट समझ जाता है कि इस व्यक्ति के मन में पत्नी के लिए काफी गुस्सा है। मेडिकल वाला उसे चाय पिलाता है और कहता है कि तुम्हारी चाय में जहर है। व्यक्ति घबरा जाता है और कहता है कि कितने भी पैसे ले लो, लेकिन मुझे बचा लो। अंत में वह बताता है कि तुम्हारी चाय में जहर नहीं था, मैं तो बस तुम्हारे अंदर का जहर मारना चाहता था, जो तुम्हारे मन में अपनी पत्नी के लिए है।