दुष्यंत संग्रहालय में ‘मैं दूल्हा कब बनूगां’ का सफल मंचन

भोपाल। दुष्यंत संग्रहालय में शनिवार को रंगकृति उत्सव का समापन शनिवार को हुआ। समारोह के आखिरी दिन नाटक ‘‘मैं कब दुल्हा बनूंगां’’ का मंचन हुआ। सरफराज हसन के निर्देशन में हुए नाटक की प्रस्तुति यंग्स थिएटर ग्रुप के कलाकारों ने दी। नाटक की शुरुआत सूत्रधार का किरदार निभा रहे कलाकार दीपांशु से होती है। जो लैंगिक अनुपात कम होने के दुष्टप्रभाव से सामाजिक ताना बाना जिस तेजी के साथ फैल रहा है। वो अत्यंत चिंता जनक विषय है। नाटक में दशकों के मध्य एक सवाल पूछा गया जिसके संदर्भ में कहा – वर्तमान में भारत मे हर 1000 पुरूषों पर मात्र 930 तीस महिलाएं हैं। यानी इस आंकडे के हिसाब से भारत मे लगभग 5 करोड़ युवाओं के विवाह के लिए लड़कियां हैं ही नहीं। जबकि अमेरिका इंग्लैंड में 1000 लड़कियों पर 970 लड़के हैं तो क्या वहां तरक्की नही हो रही है? अगर बात की जाए हरियाणा की तो यहां भी हालत चिंताजनक हैं। यहां हर वर्ष 1 लाख लड़के शादी के लिए लड़कियों की कमी की वजह से कुंवारें रह जाते हैं। नाटक हास्य में इसी समस्या को रेखांकित करते हुए हरियाणवी पृष्टभूमि पर व्यंग्यात्मक ढंग से अंत की ओर बढ़ता है।

पिता का सपना बेटों की शादी हो जाए
सतवीर की उम्र हो जाने के बाद भी विवाह ना होने से उत्पन्न हो रहे हालत पर कहानी आगे बढ़ती है। उसके पिता सुभाष जिनके जीवन का लक्ष्य सिर्फ अपने लड़कों का विवाह कराना ही रह गया है। जो सुबह से रात तक इसी उधेड़बुन्ध में लगे रहते हैं, कि कैसे कैसी भी लड़की मिल जाए बस शादी हो जाए। सतवीर का छोटा भाई बलवीर अपने बड़े भाई के हालत देखकर अब लड़कियों में कोई इंटरेस्ट ही नहीं दिखाता, बल्कि पहलवानी में खुद को व्यस्त रखने लगता है।
दूसरी ओर सुभाष के मित्र गिरधारी और एक पंडित अलग अलग समय पर लड़की दिखाने के नाम पर लगातार सुभाष से पैसे ऐंठते रहते हैं।
सतवीर रोज पाउडर क्रीम लगाकर मेकअप कर के घर और बाहर इस उम्मीद से घूमता है कि कहीं अचानक कोई रिश्ता ना आ जाए। लेकिन हर बार उसे सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है। वो अपने पिता से जिद करता है कि अब मेरा वीजा निकलवा दो मैं तो खुद मलेशिया थाईलैंड बैंकाक चला जाऊंगा और वहां से अपने लिए खुद लड़की ढूंढ लाऊंगा। पिता उसे समझता है ऐसे में एक दिन सुमन नाम की एक टीचर अपने पिता नेतराम के साथ सुभाष के घर शादी के लिए उनके लड़के सतवीर को देखने समझने आती है।
वहां कई हास्यप्रद हालत भी उत्पन्न होते है। ऐसे में सुमन जैसी ही सब के सामने सतवीर से एक शादी से पहले एक शर्त का कहती है कि शादी के बाद हम एक बेटी गोद लेंगे तो पूरे घर में सन्नाटा छा जाता है। फिर अचानक सभी सुमन की लड़की गोद लेने की बात पर बिफर पढ़ते हैं और पूछते है जब लड़का लड़की खुद बच्चे पैदा कर सकते हैं तो लड़की गोद लेने की क्या जरूरत है।
सुमन कहती है समाज में जो कुछ अपराध लड़कियों के साथ हो रही है भ्रुण हत्या सहित बलात्कार आदि यही सब कारण है कि आज लड़कियों की इतनी कमी है। क्योंकि हर परिवार बहु तो चाहता है पर बेटी कोई नहीं, जब बेटी पाओगे तभी तो बहु ला पाओगे। सुमन की लड़की गोद लेने की बात पर कोई भी हामी नही भरता तब सतवीर आगे आकर कहता है कि मैं तैयार हूं सुमन जी अपन शादी के बाद लड़की गोद लेंगे।

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