भोपाल। रविवार को शहीद भवन में रंग समूह और स्वरूप, रंग और छाया सांस्कृतिक समिति की ओर से मुंशी प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में तीन कहानियों का मंचन किया गया। मंचित कहानियों में पहली कहानी बिरयानी, दूसरी आजाद गुलाम नारी और तीसरी मंत्र रही। नाटक बिरयानी और आजाद गुलाम नारी का निर्देशन अशोक बुलानी ने किया है और मंत्र में निर्देशन मोहन द्विवेदी का रहा। बिरयानी इस नाटक की कहानी दो किरदारों रचना और धीरेंद्र की है। रचना की बिरयानी की खुशबू से वहां के रहवासी बिरयानी खाने के लिए घर आने लगते हैं। एक दिन धीरेंद्र को नौकरी से बाहर कर दिया जाता है। धीरेंद्र रचना को बताता है कि उसकी नौकरी चली गई है। वह रचना से घर की खुशी के लिए बिरयानी बनाने को कहता है। बिरयानी की खुशबू से पड़ोसी कहता है मैं रचना के हाथ की बिरयानी खाऊंगा, चाहे मुझे हजारों रुपए ही क्यों न देना पड़े और अंत में रचना बिरयानी का बिजनेस करने लगती है। आजाद गुलाम नारी यह शीला और अमित की कहानी है। अमित दूसरे शहर में नौकरी करता है। वह हर शनिवार घर आता है और शीला के ऊपर रौब जमाता है, डांटता है और उसे घर में रहने के लिए कहकर अपने दोस्तों के साथ घूमने की योजना बनाता है। वहीं शीला अपनी दोस्तों से पति और परिवार को समय देने की बात कहकर कहीं भी जाने-आने से मना कर देती है। अंत में अमित को अपनी गलती का एहसास होता है और वही अपनी पत्नी से माफी मांगता है। मंत्र मुंशी प्रेमचंद लिखित कहानी मंत्र में भगत नाम के व्यक्तित्व के बच्चे को सांप काटता है। वह उसे लेकर डॉ. चड्ढा के क्लिनिक जाता है, लेकिन डॉ. चड्ढ़ा खेलने चला जाता है। इलाज के अभाव में बच्चे की मौत हो जाती है। कुछ समय बाद डॉ. चड्ढ़ा के बेटे को सांप काटता है और दवा काम नहीं करती है। वहीं धीरे-धीरे भगत को सांप का जहर निकालने में महारत हासिल होती है। भगत डॉ. चड्ढ़ा के बेटे को ठीक कर देता है तो डॉ. चड्ढ़ा दौलत का झांसा देता है, लेकिन भगत इसमें नहीं फंसता है।