अनुभवों से बदलें आदतें

राधेश्याम रघुवंशी

ऑफिस में कैसा आचरण होना चाहिए, बड़ों से कैसे बात करनी चाहिए, परिवार में बर्ताव कैसा होना चाहिए…ऐसी बहुत-सी अच्छी बातों से वाकिफ हमारा अनुभव करवाता है। इस राह को सुगम बनाते हैं हमारे शुभचिंतक, लेकिन असल जिंदगी में कई छोटी बातें भी हमें काफी कुछ सिखा जाती हैं। यही वे बातें हैं जो हमारे संस्कारी होने का प्रमाण पेश करती हैं। अधिकांश लोग जानते हैं कि कहां कैसा व्यवहार करें। दूसरी ओर बहुत से लोग इस मामले में फिसड्डी होते हैं।
बार-बार फोन नहीं
लगातार दो बार से अधिक किसी को कॉल नहीं करें। यदि सामने वाला आपका कॉल उठा नहीं रहा या काट रहा है, तो बेवजह दिमाग नहीं दौड़ाएं। हर बार कारण नाराज़गी नहीं हो सकता। हो सकता है कि सामने वाला व्यस्त हो। सामने वाला भी समझदार है। वह आपको समय मिलते ही काॅल करेगा। बहुत ज़रूरी है तो मैसेज करें।
पैसों के प्रति वफादार
आपने किसी से धन लिया है तो मांगने से पहले लौटा दें। यह आपकी ईमानदारी और चरित्र को दर्शाता है। पैसों के प्रति लालच आपको दूसरों की नज़रों में गिरा देगा।
बेवजह सवाल नहीं
लोग परिचित हो या अपरिचित, आप काम से काम रखें। बेवजह लोगों पर सवाल नहीं दागें और बिन मांगे सलाह न दें। यह रवैया आपको ही मुश्किल में डाल सकता है। किसी से उनकी उम्र और व्यक्तिगत बातें भी न पूछें।
किसी का फोन देख रहे हैं तो
जब कोई आपको अपने मोबाइल पर कोई फोटो दिखाता है, तो स्वयं उसके मोबाइल पर बाएं या दाएं स्वाइप नहीं करें। यदि आपको उसकी निजी फोटो देखनी है तो उसकी अनुमति ज़रूर लें। अन्यथा यह निजता का हनन है।
बुनियादी बात
अगर आप आगे चल रहे हैं तो अपने पीछे आने वाले व्यक्ति के लिए हमेशा दरवाजा खोलें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह लड़का है या लड़की, जवान है या बुजुर्ग, सीनियर है या जूनियर। यदि आप किसी दोस्त के साथ टैक्सी लेते हैं, और वह अभी भुगतान करता है तो अगली बार आप भुगतान करने का प्रयास करें। अपने से ओहदे में कम लोगों के साथ भी सम्मान का व्यवहार करें।
धन्यवाद के बोल
मदद चाहे छोटी हो या बड़ी। आपकी कोई मदद करता है, फिर चाहे वो अपना हो या गैर, उसके प्रति नरम रवैया अपनाएं। उसे धन्यवाद ज़रूर कहें। यहां चुप रहने से सामने वाले के दिमाग में आपकी छवि अहसान फरामोश वाली बनेगी। याद रहे दुख के समय मीठे बोल, सड़क पर गिरा सामान उठाकर उसके मालिक को देना, सड़क पार करवाना या सार्वजनिक परिवहन में सीट देना भी मदद है।
बात करते वक्त चश्मा उतारें
किसी से बात करते समय अपनी स्टाइलिश गोगल उतार कर रखें। यह सम्मान की निशानी है। अन्यथा आपकी छवि नकारात्मक बनेगी। बातचीत परिचित से हो या अपरिचित से, आई कॉन्टेक्ट ज़रूरी है। बहुत कुछ सामने वाले की आंखों से जान लेते हैं।
चिढ़ाने की आदत बुरी
किसी को चिढ़ाकर उस पर ठहाके लगाकर हंसना आपकी आदत है तो इसे तुरंत छोड़ें। ऐसा करके आप किसी का दिल दुखा रहे हैं।
पैसे का जिक्र नहीं
अमीर-गरीब दोस्त हो सकते हैं। लेकिन पैसों की बहुतायत या कमी का रोना दोस्ती में नहीं रोना चाहिए। अन्यथा दोस्ती में पैसा घुसपैठ कर जाएगा और नींव डगमगा जाएगी। दोस्त सच्चे होंगे तो एक-दूजे की ज़रूरत भांप लेंगे।

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