व्यंग्य
हेमंत उपाध्याय
पत्नी बोली – कोरोना से डरोना, कोरोना को इंजाय करोना। पति बोला- भाग्यवान! सारा विश्व डर रहा है। सदमे में है और तुमको मजाक सुझी है। अरे इसके तो फायदे ही फायदे हैं। बाबा लोग कहते हैं ना – “सकारात्मक सोच रखो।” आपको तो अपने काम से ज्यादा बाबाओं पर भरोसा है। फिर मानो उनकी। देखो इक्कीस दिन में जो सुख आपने भोगा है वो इक्कीस साल में नहीं मिला। इन दिनों में एक भी वसूली के लिए तकाज़ा करने नहीं आया। जबकि उधारी जस की तस है। मकान मालिक किराया लेने आना तो दूर घर से बाहर नहीं निकला। जिस सब्जी भाजी को लेने जाने के लिए पेट्रोल फूँकते थे वो आप सोते रहते हो और मैं घर बैठे ही ले लेती हूँ। आपकी गाड़ी का पेट्रोल भी बचा और खराब सब्जी लाने से जो डाँट पड़ती थी आपको वो भी अब नहीं पड़ती। देश को भी विदेशी मुद्रा बचाने का सुनहरा अवसर मिल गया। आपके चाचा-भतीजे निकम्मे थे उनको भी धेले भर की तकलीफ नहीं हुई। नि:शुल्क तीन माह का अनाज मिल गया। मौसी जो आपसे पैसे उधार ले जाती थी व कभी लौटाती नहीं थी उसके खाते जीरो बेलेंस वाले थे जो चार अंको में जन-धन योजना से भर गये। गैस की सबसिडी ज्यादा आ रही है। हम्मालों जैसा रोज आफिस में काम करते थे, देर से घर आते थे वो भी खाली हाथ और साहब की डाँट खाकर ही घर आते थे और आफिस की डाँट का उतारा मेरे व बच्चों पर करते थे। वो सब बंद है। आप अपना मन पसंद रामायण देख रहे हो, सरकस देख रहे हो। मैं मेरे मन पसंद सिरियल व महाभारत देख रही हूँ। बच्चे मोबाइल पर कार्टून देख रहे हैं मोगली देख रहे हैं। सब अपने-अपने कक्ष में एकांतवास में सामाजिक दूरी बनाए हैं। चारों घर में आमने-सामने के कक्ष में रहकर भी वाकयुद्ध नहीं हो रहा है। पहली बार है कि भरपूर बिजली वापरी ए.सी. और कुलर में पड़े रहते हैं पर कोई लाईनमैन डंडा लेकर लाईन काटने या वसूली करने हर माह की भाँति नहीं आया। बिल भी नहीं आया और पेनाल्टी भी नहीं लगेगी। और कितना सुख चाहिए। आजादी के बाद से पहली बार इतना सुख भोगा है। न नाई को पैसे देना है और न ही धोबी को। बर्तन माँजने कपड़े धोने का काम व झाड़ू पोंचे का काम तो मैं जब से आई हूँ, आप मेरे इशारे पर ही अपने आप करने लगते हो। बच्चों का चाट आइसक्रीम का शौक भी छूट गया है। चार पैसे बचे वो अलग। तीज के दिन तो तीन-तीन शादियों में जाना था। एक में तो कुटुंब पेरावणी करना थी। रेल और आटो का खर्च होना था, सब तो बच गया और कैसा सुख चाहिए, आपको? दूर दराज के कईं लोग God ko lovely हो गये (प्रभु को प्यारे हो गये) न घाट पर गए न ही घर बैठने गए। देश की इज्ज़त में भी चार चाँद लग गए। कईं देश जो धमकी देते थे वो आज दवा माँग रहे हैं और धन्यवाद व दुआ दे रहे हैं। हवाई जहाज और मोटरयान बंद होने से विदेशी मुद्रा भी बच रही है। सड़क दुर्घटनाऐ 0 हो गई। रेल दुर्घटनाऐ नगण्य है। सब नदियां स्वच्छ हो गई है। बिना दिवाली दिये जलाकर दिवाली मनाई। प्रदूष्ण खत्म। शोरगुल गायब। बच्चे नियमित स्कूल जाकर भी पास नहीं होते थे वो घर बैठे अगली कक्षा में चले गये। जिस बीमारी को देश-विदेश के लोग हवाई जहाज से मुफ्त में लेकर आए उससे भी हम बचे रहे। और कितने लाभ गिनाऊँ। बार-बार कहती हूँ, कोरोना से डरो ना, करोना को इंजाय करो ना।
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