व्यंग्य लेख
प्रकाश श्रीवास्तव,
सुबह सुबह हल्के भाई बड़े भारी मन से घर आ धमके। कल शाम से पूछ रहा हूं भैया, बड़ी बोझिल सी आवाज़ में बोले। मैंने सोचा कि आज फिर 100-50 का फटका लगा। अपने चेहरे पर उनसे दोगुनी मायूसी ला कर कहा यार हल्के 30 तारीख के पहले ही बटुआ जीभ चिढ़ाने लगता है। वो बोले, अरे नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं, कल साला चालान ठुक गया। अरे क्या हेलमेट नहीं लगाए थे, मैंने भी सांत्वना भरे लहज़े में पूछा। बस इतना सुनते हीे वो तो गचकुंडी की तरह भमक गए; हां यार दुकान पे हेलमेट भूल कर बस चैराहे तक ही पहुंचा था कि टैªफिक वालों की पैनी निगाहों की ज़द में आ गया और ख़ास बात यह है कि इनकी पैनी निगाहें हेलमेट पर ही सेट रहती हैं, यंू तो सड़कें खुदी पड़ी हैं, सिग्नल बंद पड़े हैं, ओवर लोड आटो और बसें चल रहे हैं, भारी वाहन सड़कों पर धमाचैकड़ी मचा रहे हैं, लड़के बाईकों पर मौत का कुआं खेल रहे हैं, स्टाप लाइन के आगे गाड़ियां खड़ी हैं, बिना स्टाप के पब्लिक वाहन खड़े हैं ये इनकी पैनी निगाह में नहीं आता बस हेलमेट ही दिखते हैं। अरे अरे गुस्सा थूक दो तुम आराम से पहले चाय पियो फिर मैं तुम्हे सरकारी पाॅलिसी समझाता हंू। चाय के नाम से हल्के कुछ और हल्के हुए। क्या पाॅलिसी, उन्होने आंखें थोड़ी सी मीच कर पूछा। देखो हल्के भाई मैंने उन्हें हल्के हल्के समझाना शुरू किया। हेलमेट का चालान खत्म होने वाला है! सच, उनके चेहरे पर कुछ संतुष्टि के भाव आ गए। लेकिन चिंता बरकरार थी। मैंने अपनी चैराहा-चैपाल बुद्धि का दांव खेला। देखो सड़कें अगर खराब हैं तो आप धीरे धीरे और सम्भल कर चलोगे गाड़ी दौड़ाओगे नही ंतो एक्सीडेंट की संभावना खत्म। अब सरकार इतनी मूर्ख तो नहीं कि सड़के दुरुस्त कर आपको तेज़ गाडी़ चलाने का मौका दे। सिग्नल बंद होंगे तो आप अधिक सतर्क हो कर चैराहा क्रास करोगे अब भला सिग्नल सुधरवा कर आपको क्यों लापरवाह किया जाए। ओवरलोडिंग तो दुर्घटना रोकने का अचूक उपाय है, एक तो वज़न की वजह से वाहन तेज नहीं चलेगा दूसरे उसमें ज़्यादा या़त्री बैठेंगे तो अपनी गाड़ियों का उपयोग नहीं करेंगे जिससे सड़क पर वाहन कम होंगे तो दुर्घटना कम होंगी साथ ही प्रदूषण भी कम हो जाएगा। अब अगर कोई भारी वाहन दिखेगा तो तुम अपना स्कूटर खुद ही धीरे नहीं कर लोगे क्या। जहां तक लड़कों का सवाल है, बाइक पर स्टंट दिखाने के उनके अंदाज़ और एक हाथ में मोबाइल पर व्हाट्सएप करने की अदा का तुम मुकाबला नहीं कर सकते इसीलिए उनसे जलते हो भैया, दरअसल यह बाइकर पीढ़ी बड़ी दार्शनिक है इन्होने ’’नैनं छिन्दन्ति शस़्त्राणी, नैनं दहति पावकः……. ’’ को आत्मसात् किया है, तो फिर हेलमेट लगा कर वो अपनी हेयर स्टाइल क्यों खराब करने लगे, वैसे भी आज की युवा पीढ़ी में कुछ तो अपना अच्छा बुरा अपने माता पिता से ज़्यादा समझते हैं। स्टाॅप लाइन पे तो जब रुकें जब बिचारे सिग्नल लाल पीले हों वो तो वैरागियों की तरह आने जाने वालों को निहारा करते हैं’’ ना काहू से दोस्ती ना काहू से वैर’’। रही बात पब्लिक वाहनों के स्टाॅप पर ना रुकने की तो भैया वो तो सड़कों पे डोलते हुए मुसाफिरों को उठा कर भीड़ ही कम करते हैं जिससे दुर्घटना की सम्भावनाएं खत्म होती जाती हैं। भैया जब दुर्घटना की सारी सम्भावनाएं खत्म हो जाएंगी तो हेलमेट की ज़रूरत भी खत्म हो जाएगी इस तरह चालानी कार्यवाही भी खत्म हो जाएगी। इतना सुनकर हल्के भैया ने बची हुई चाय एक बार में सुड़की और ज़ोर से मुझे घूरते हुए निकल लिए।
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