यतीन्द्र अत्रे
यतीन्द्र अत्रे
रंगमंच में पर्दा उठने से पहले मंच के पीछे एक साफ-सुथरे स्थान पर रंग कर्मियों द्वारा सरस्वती माई की पूजा अर्चना की जाती है। प्रसाद वितरण के पश्चात सारे रंगकर्मी जो कि मंच पर व मंच से परे सहभागी भूमिका में होते हैं, हाथों में हाथ डाले एक सर्किल बनाते हैं। निर्देशक द्वारा मंचन के बारे में महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए जाते हैं, अंत में मंच पर जाने से पूर्व परस्पर प्रोत्साहन के उद्देश्य से एक दूसरे के गले मिलते हुए यह कहा जाता है- उर्जा बनाए रखना। क्योंकि यही परीक्षा की घड़ी होती है। कहा जाता है कि मंच किसी भी रंग कर्मियों को क्षमा नहीं करता है। गलत संवाद अदायगी, अभिनय के परिणाम तुरंत ही दर्शकों के मध्य दिखाई देने लगते हैं और निर्देशक की महीनों की मेहनत वहां गौण हो जाती है। ऐसी ही एक परीक्षा की घड़ी हमने पिछले दिनों अनुभव की है,हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है की विपत्ति अभी टली नहीं है किंतु कोरोना योद्धाओं ने एक नया जीवन जीने हेतु हमें एक नई सोच प्रदान की है। भविष्य में जीवन को किस तरीके से हम अभिनीत करें इसका निर्णय अब हमारा होगा। लॉक डाउन समाप्त होने के बाद से सरकार की प्राथमिकताएं बदल सकती हैं। हमें यह भ्रम तोड़ना होगा कि आगे भी कोई हमारी 24 घंटे निगरानी करता रहेगा। आर्थिक संकट से उबरना, पलायन कर गए मजदूरों के स्वास्थ का ध्यान रखते हुए उन्हें वापस काम पर लाना, देशवासियों का पूर्व की तरह सामान्य जीवन किस तरीके से पटरी पर लाना संभवतः यही चुनौतियां केंद्र एवं राज्य सरकारों के मध्य होंगी। अब यक्ष प्रश्न यह होगा कि क्या कोरोना वॉरियर्स की छत्रछाया में ही हम आगे आने वाला कठिन समय बिताएंगे ? कठिन इसलिए कहना होगा कि हो सकता है वर्ष भर 2 वर्ष या 3 वर्ष हमें इस संकट से जूझना पड़े। जीवन हमारा है तो स्वाभाविक है कि निर्णय भी हमारा होना चाहिए। फिर प्रश्न हम क्या करें ? मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, निरंतर हाथ धोना और भीड़ से बचने के लिए पिलाई जा रही घुटी को याद रखें। यह सही है कि मानव सेवा सबसे बड़ा धर्म है किंतु अपने स्वास्थ का विशेष ध्यान रखते हुए उसका पालन करें। सामाजिक दूरी और हाथ धोने के लिए हमें जागरूक कर ही दिया गया है। अब लंबे समय तक हम अपनी दिनचर्या को समझ लें, अन्यथा देश में संक्रमित होने की स्थिति हम देख ही रहे हैं। अपना और अपने परिवार का विशेष ध्यान रखें। रंगकर्मियों की भांति ‘ऊर्जा बनाए रखें’ जो इस जंग को जीतने के लिए प्रत्येक व्यक्ति में नितांत आवश्यक है। प्रधानमंत्री मोदी के संदेश के अनुसार ‘धैर्य और संकल्प हमारा मनोबल बढ़ाते हैं’। विश्वास रखें परिणाम निश्चित रूप से हमारे पक्ष में होंगे, और यही उन वीर सपूतों के प्रति हमारी सच्ची श्राद्धांजलि होगी, जिन्होंने हमारे प्राण बचाने के लिए अपने प्राण संकट में डालें हैं।
प्रिय अत्रे जी,
आपका लेख बहुत अच्छा लगा। आपने वर्तमान स्थिति का आकलन करते हुए भविश्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए जन साधरण को आगाह करने का प्रयास बहुत रोचक एवं सादी भाषा मै किया है। लेख सामयिक तथा आम जनता को सावधानी के साथ जिन्दगी जीने के लिये प्रेरित करता है ।
आभर के साथ धन्यवाद ।
अत्यंत समसामयिक, संक्षिप्त, सारगर्भित लेख 👌👌👌
अशोक जैन, भोपाल
अत्रेजी,
समयोचित संदेश, बहुत सुन्दर शैली में.👏👏🙏
सुधीर भालेराव ,भोपाल
समयोचित विचार,अत्रे जी।
सुरेश केंदुरकर,भोपाल