केन्द्र सरकार का एक और प्रशंसनीय कदम

केंद्र सरकार कानूनी रूप से युवाओं की न्यूनतम आयु के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लेने की तैयारी में है। विशेषज्ञों का मानना है कि सभी धर्मों के लड़के लड़कियों की विवाह हेतु न्यूनतम आयु एक समान होनी चाहिए। सूत्रों की मानें तो इस संबंध में टास्क फोर्स की रिपोर्ट पर नीति आयोग की दो बैठकें संपन्न हो चुकी हैं और इस बात के भी ठोस संकेत मिल रहे हैं कि 15 अगस्त 2021 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन में इस पर अमल की घोषणा हो सकती है। उल्लेखनीय है कि पिछली बार प्रधानमंत्री ने इसमें बदलाव हेतु विचार करने की बात कही थी। साथ ही इंटरनेट पर डेटा संरक्षण के क्षेत्र में बच्चों की उम्र पर निर्णय के लिए भी आधार बना लिया गया है। बच्चों के माता-पिता की इसे लेकर चिंताओं में भी कमी आएगी। अभी हमारे देश में भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि इंटरनेट सर्फिंग के लिए निर्धारित आयु क्या होनी चाहिए। इस संबंध में संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर अंतिम रूप दिया जा रहा है। अनेक मामलों में हमारे यहां किशोर वय की परिभाषा में 18 वर्ष से कम आयु के युवा को रखा गया है। वहीं यूरोप के कई देशों में 13 वर्ष के ऊपर के बच्चों को वयस्क माना गया है।
बदलते परिवेश में महानगरों में लड़कियों की पढ़ाई और उनके कैरियर के प्रति सोच बदल चुकी है। अब सामान्यतः लड़कियों के विवाह की उम्र 21 वर्ष को स्वीकार कर लिया गया है। अधिकतर भारतीय परिवारों में यह समझ आ गई है कि 21 वर्ष या उसके बाद लड़की का विवाह होता है तो उसके अनेक फायदे हैं, वह गर्भधारण करने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से सक्षम हो जाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जिन लड़कियों का विवाह 15 से 19 वर्ष की आयु तक हो जाता है उनको बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ देना पड़ती है। यदि इस आयु में गर्भधारण होता है तो मानसिक और शारीरिक रूप से सक्षम न हो पाने के कारण मां के साथ जन्मे शिशु की स्थिति भी विकट हो जाती है, वे अच्छी तरह से शिशु की देख-भाल भी नहीं कर पाती हैं यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु दर बढ़ रही है। जो युवा कम उम्र में माता पिता बनते है उनके बीच मानसिक तनाव बना रहता है और संभवतः कई बार यही पारिवारिक कलह उनके अलग होने का कारण बन जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में निश्चित रूप से सरकार का इस दिशा में यह प्रशंसनीय कदम होगा। यह सही भी है कि जब देश आजादी के 75 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है तब युवा वर्ग के लिए भी संविधान में आयु के नए पैमाने होने चाहिए।


मो.: 9425004536

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *