यतीन्द्र अत्रे,
रविवार 28 मई को नवनिर्मित संसद भवन के शुभारंभ अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास राजदंड (सैंगोल)की स्थापना हो गयी है। समाचार पत्र और टीवी चैनलों के माध्यम से आज की नई पीढ़ी यह जान पा रही है कि 14 अगस्त 1947 की रात पंडित जवाहरलाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के समय प्रतीक के रूप में इसे सौंपा गया था, उसके बाद यह देश के दो प्रसिद्ध संग्रहालय की शोभा बढ़ाता रहा। 1960 तक आनंद भवन और तत्पश्चात इसे इलाहाबाद म्यूजियम में रखा गया, यानी कि स्वतंत्रता के 75 वर्षों तक किसी भी सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो जनता पार्टी,बीजेपी या फिर कोई मिली जुली सरकार को इसके महत्व को समझने का अवसर नहीं मिला। मोदी सरकार की इस प्रशंसनीय पहल से यह अनुमान लगाया जाना स्वाभाविक होगा कि आठवीं शताब्दी में चोल साम्राज्य में सत्ता हस्तांतरण में प्रयुक्त राजदंड परंपरा का फिर महत्व बढ़ेगा। हालांकि इसका उपयोग कितना होगा यह तो समय ही बताएगा,लेकिन सही मायने में इसकी स्थापना ही वर्षों तक इसके इतिहास और हमारी परंपरा दोनों को याद दिलाती रहेगी। नये भवन मे सैंगोल की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद की झलक दिखाता एक वीडियो देश की जनता को साझा किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि नया संसद भवन हर भारतीय को गौरवान्वित करेगा । मोदी ने जनता से यह आग्रह भी किया है कि अपनी आवाज देते हुए इसे दूसरों को भी साझा करें। यह बताया जा रहा है कि नया भवन देश की विविध संस्कृति को प्रस्तुत करेगा। आज भारत की पहचान दुनिया में क्या है यह किसी से छुपी नहीं है वह दृश्य भी दुनिया ने देखा होगा जब आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानिज़ ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी को बाॅस के सम्मान से निरूपित किया था, 3 देशों के विदेशी दौरे से लौटकर दिल्ली में कार्यकर्ताओं और समर्थकों को संबोधित करते हुए स्वयं मोदी जी ने बताया कि वहां भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में लोकतंत्र का वातावरण निर्मित रहा,जिसमें पक्ष विपक्ष के सभी सदस्य उमंग और उत्साह के साथ सम्मिलित हुए । इससे यह अनुमान लगाना कठिन नहीं होगा प्रधानमंत्री की लोकप्रियता दूसरे देशों में आज क्या है ? वहीं मोदी इस लोकप्रियता का श्रेय देश की जनता को दे रहे हैं, जिन्होंने बहुमत वाली सरकार चुनी है। यह कहना गलत नहीं होगा कि लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के निर्णय देश हित में ही होते हैं, मसला राम मंदिर निर्माण का रहा हो, आर्टिकल 370 का हो या नए संसद भवन के शुभारंभ होगा देश की जनता ने समर्थन दिखाया है। 88 रिटायर्ड अधिकारियों के साथ 270 प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने विपक्षी दलों के बहिष्कार को गलत ठहराया है, जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में इनकी ओर से कहा गया है कि विपक्ष का रवैया अलोकतांत्रिक है । देशवासियों के लिए यह गौरव करने का विषय है, की नव निर्मित संसद भवन भी भारत की लोकतांत्रिक परंपरा और हमारी विविध संस्कृति का परिचायक होगा।
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