पधारो म्हारा मध्यप्रदेश

यतीन्द्र अत्रे,

मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा की परिक्रमा विश्व प्रसिद्ध सांस्कृतिक विरासत में सम्मिलित होने की संभावना जताई जा रही है। हाल ही में मध्य प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग ने यूनेस्को इनटेंजिबल सूची के लिए इस आशय का प्रस्ताव केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के पास भेजा है। जानकारों का इस संबंध में कहना है कि यदि प्रस्ताव पर सहमति मिलती है तो नर्मदा परिक्रमा यूनेस्को की सूची में सम्मिलित हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार पर्यटन एवं संस्कृति विभाग पिछले अनेक वर्षों से होली- रंग पंचमी पर इंदौर में आयोजित होने वाली हुरयारों की गैर को भी यूनेस्को की सूची में सम्मिलित कराने के लिए प्रयासरत रहा है। जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के धरोहर बन चुके तीज, त्योहार, लोक नृत्य के प्रस्ताव प्रतिवर्ष संस्कृति मंत्रालय की समिति ‘संगीत नाटक अकादमी’को भेजे जाते हैं। परिणामस्वरूप वर्ष 2021 में दुर्गा पूजा एवं वर्ष 2022 में गरबा मध्य प्रदेश से इस सूची के लिए चुने गए थे। मध्य प्रदेश के लाखों लोगों की आस्था से जुड़ी नर्मदा की परिक्रमा यदि इस सूची में सम्मिलित हो जाती है तो यह मध्य प्रदेश वासियों के लिए बड़े ही गर्व की बात होगी। 2600 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा हजारों लोग प्रतिवर्ष सड़क मार्ग से पूरी करते हैं। नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से प्रारंभ यह परिक्रमा गुजरात के भरूच से होकर वापस अमरकंटक में समाप्त होती है। कईं श्रद्धालु इसे 3 से 4 माह की अवधि में पैदल ही पूरा करते हैं। कहा जाता है कि मध्य प्रदेश की संस्कृति आज भी रंगीन है और यहां ऐतिहासिक धरोहरें सुरक्षित हैं। मालवा निमाड़ में तीज, त्योहारों एवं गणगौर नृत्य की छटा है तो बुंदेलखंड में ठुमके लगाने वाला राई नृत्य प्रसिद्ध है। मालवा के नमकीन एवं मिठाइयां विश्व प्रसिद्ध हैं वहीं ग्वालियर की गजक का स्वाद निराला है। इसके अतिरिक्त सबसे अलग है यहां के निवासी जो क्षेत्र के अनुसार मालवी, निमाड़ी, बुंदेली एवं बघेली बोलियों में आगंतुकों के स्वागत के लिए हमेशा आतुर होते हैं। देश के मध्य में बसा मध्य प्रदेश भारत का हृदय स्थल ऐसा ही नहीं कहा जाता है।

मो. : 9425004536

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