उत्तराधिकार में हुईं उपशास्त्रीय गायन एवं ओडिसी नृत्य की प्रस्तुतियाँ

भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में परम्परा, प्रदर्शनकारी कला एवं नवांकुरों के लिए स्थापित श्रृंखला ‘उत्तराधिकार’ में ‘उपशास्त्रीय गायन’ एवं ‘ओडिसी नृत्य’ की प्रस्तुतियाँ संग्रहालय सभागार में हुईं।

कार्यक्रम की शुरुआत योगेश देवले ने अपने साथी कलाकारों के साथ उपशास्त्रीय गायन प्रस्तुत कर की। जिसमें उन्होंने प्रारम्भ में राग मारु बिहाग एक ताल में ‘अब मैं यूँ ही जानू’ प्रस्तुत किया। इसके पश्चात क्रमशः एकताल मध्य लय में ‘गाऊ गुनन कैसे तुम्हारो’ प्रस्तुत किया। इसके बाद कलाकारों ने संत एकनाथ की रचना ‘गुरु कृपांजन पायो मेरे भाई’ प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं को मोह लिया। योगेश देवले ने आने साथी कलाकारों के गुरु नानक देव का पद ‘साधो मन का मान त्यागो’ प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। प्रस्तुति के दौरान योगेश देवले का साथ गायन में सक्षम देवले, अभीषत सिंह और गजानन रणदिवे ने दिया। संगतकारों में तबले पर निशांत शर्मा ने और हारमोनियम पर रोहित परिहार ने संगत की।    

इसके पश्चात् सुप्रवा मिश्रा ने अपने साथी कलाकारों के साथ ओडिसी नृत्य की शुरुआत नारी पर केंद्रित नृत्याभिनय प्रस्तुत कर की। जिसमें कलाकारों ने द्रोपदी, अहिल्या और माता सीता के चरित्र को मंच पर अपने नृत्य कौशल से बिम्बित किया। इस प्रस्तुति में बताया गया है कि जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे, तब वह नारी को नहीं बना पाए थे। अतः शिव ने अपने अर्धनारीश्वर स्वरुप से ही माँ पार्वती को अलग किया था। इस प्रस्तुति के पश्चात कलाकारों ने राग मोहना त्रिताल में ‘पल्लवी मोहना’ पर ओडिसी नृत्य की मोहक प्रस्तुति प्रस्तुत की। पल्लवी असल में ओडिसी नृत्य का कोमल स्वरुप है। इस प्रस्तुति में मंदिरों की दीवारों पर बनी अति प्राचीन नृत्य भंगिमाओं को कलाकारों ने अपने नृत्य कौशल से मंच पर प्रस्तुत कर दर्शकों को मोह लिया। सुप्रवा मिश्रा ने साथी कलाकरों के साथ ‘मोक्ष’ केंद्रित प्रस्तुति प्रस्तुत कर अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। इस प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने कला कौशल से मोक्ष की प्रासंगिकता को कलात्मक रूप से प्रस्तुत किया। नृत्य प्रस्तुति के दौरान सुप्रवा मिश्रा का साथ मंच पर सुचरिता त्रिपाठी, प्रियंका, अनुषा जैन, हिरणा और धरसिंधु दोषी ने अपने नृत्याभिनय कौशल से दर्शकों को मन्त्रमुग्ध कर दिया। प्रस्तुति के दौरान प्रकाश परिकल्पना और ध्वनि में नीता दोषी और दीपक पाठक ने साथ दिया।     

प्रस्तुतियों के दौरान श्रोताओं और दर्शकों ने कलाकारोंका उत्साहवर्धन करतल ध्वनि से किया।    

योगेश देवले लम्बे समय से गायन के क्षेत्र में सक्रीय हैं। योगेश देवले ने गायन-वादन की कई प्रस्तुतियाँ देश के विभिन्न कला मंचों पर दी है। सुप्रवा मिश्रा को कई प्रतिष्ठित सम्मानों और पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। सुप्रवा मिश्रा ने देश के विभिन्न कला मंचों पर कथक नृत्य की कई मोहक प्रस्तुतियाँ दी हैं।          

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