जनजातीय चित्र प्रदर्शनी 3 अगस्त से 30 अगस्त, 2022 तक रहेगी

भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को चित्र प्रदर्शनी और चित्रों की बिक्री के लिये सार्थक मंच उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रतिमाह ‘लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा’ में किसी एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह विक्रय का संयोजन शलाका नाम से किया जाता है। इसी क्रम में 3 अगस्त ,2022 से गोंड समुदाय के चित्रकार श्री जयप्रकाश धुर्वे के चित्रों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का संयोजन किया जा रहा है। 28वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 30 अगस्त, 2022 तक निरंतर रहेगी। चित्रकार जयप्रकाश मध्यप्रदेश के गोंड बहुल क्षेत्र डिन्डोरी के ग्राम पाटनगढ़ में वर्ष 1997 में जन्मे हैं।  बचपन गाँव में बीता और बहुत छोटी उम्र में ही माता पिता के साथ शहर आ गये, जहाँ माता पिता जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से नौकरी अथवा अन्य कार्य करने लगे। शहर में आकर जयप्रकाश के माता पिता कुछ समय अपने गाँव के परिचितों के पास रहे और शाम को दिन भर के कामों से निवृत्त हो कर साथियों के साथ कुछ चित्रकर्म करते और बहुत बार अपने परिचित गोंड चित्रकारों को उनके चित्रों को पूरा करने में सहयोग भी करते जिससे उन्हें कुछ आर्थिक सहायता भी मिलती। इस दौरान वे स्वयं भी चित्रांकन की बारीकियाँ को सीखते। यह सिलसिला चलता रहा और चित्रकार जयप्रकाश भी गोण्ड जनजातीय कथाओं का अंकन करने लगे।  श्री धुर्वे प्रकृति, परिवेश, पशु-पक्षी, मनुष्य और उसके क्रियाकलाप को रंग-रेखाओं के माध्यम से उकेरते हैं। उनके चित्रों की लयबद्धता बरबस ही ध्यान आकृष्ट करती है।

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