बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत समाधि’ मूल रूप से हिंदी में प्रकाशित हुआ था जिसे डेजी रॉकवेल द्वारा अंग्रेजी में ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के रूप में अनुवाद किया गया है।
दिल्ली की लेखिका गीतांजलि श्री अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय लेखिका बन गई हैं। उनके उपन्यास ‘Tomb of Sand’ के लिए उन्हें प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है। इसके साथ ही यह हिंदी का पहला उपन्यास है जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज मिला है।
यह 50,000 पाउंड के पुरस्कार के लिए चुनी जाने वाली पहली हिंदी भाषा की किताब है। जूरी के सदस्यों ने इसे ‘शानदार और अकाट्य’ बताया।
यह
उपन्यास भारत के विभाजन की छाया में स्थापित एक कहानी है, जो अपने पति की
मृत्यु के बाद एक बुजुर्ग महिला की कहानी को दर्शाती है। गीतांजलि श्री के
द्वारा वर्ष 2000 में लिखे गये उपन्यास ‘माई’ को वर्ष 2001 में ‘क्रॉसवर्ड
बुक अवार्ड’ के लिए चुना गया था।
बुकर प्राइज एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है। यह पुरस्कार अंग्रेजी में लिखित या अनुदित और ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित किसी एक पुस्तक को हर साल दिया जाता है। 2022 के पुरस्कार के लिए चयनित पुस्तक की घोषणा सात अप्रैल को लंदन बुक फेयर में की गई थी।
उल्लेखनीय है कि वनमाली सृजन पीठ द्वारा रवीन्द्र भवन, भोपाल में दिनांक 15 से 17 अप्रैल 2022 को आयोजित भव्य समारोह में गीतांजलि श्री को ‘वनमाली राष्ट्रीय कथा सम्मान 2021–22’ से अलंकृत किया गया था। वनमाली सृजन पीठ का यह प्रतिष्ठा आयोजन श्री संतोष चौबे, वरिष्ठ कवि–कथाकार, विश्व रंग के निदेशक एवं कुलाधिपति रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था।
वरिष्ठ कथाकार गीतांजलि श्री को बुकर सम्मान से अलंकृत होने पर ‘विश्व रंग’ टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव, वनमाली सृजन पीठ, आईसेक्ट पब्लिकेशन, टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, बिलासपुर, खंडवा, वैशाली, आईसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग, समस्त वनमाली सृजन केंद्रों एवं साहित्य, कला संस्कृति की सभी सहयोगी संस्थाओं की और से बहुत-बहुत हार्दिक बधाई… अभिनंदन… अभिनंदन… अभिनंदन…*