‘शीशे के खिलौने के माध्यम से दर्शकों से सवाल करता… नाटक

भोपाल। शुक्रवार को भारत भवन में रंग मण्डल की अतिथि नाट्य प्रस्तुति के अंतर्गत द ड्रमेटिक आर्ट एण्ड डिजाइन एसोसिएशन द्वारा नाटक शीशे के खिलौने का मंचन किया गया। जिसकी कहानी टेनेसी विलियम्स के मूल नाटक दि ग्लास मिनाजरी पर आधारित है। इसका उर्दू रूपान्तरण बिलकीस जफीर-उल-हसन ने किया तथा गोविन्द सिंह यादव द्वारा निर्देशन किया गया।  नाटक का मुख्य पात्र एवं सूत्र धार एजाज दर्शकों से सवाल करता है कि जिस तरह कहानी की पात्र लुबना खिलौनो की देखभाल करती है उसी तरह ईश्वर हम इंसानों की देखभाल क्यो नहीं करता हैं। क्यो वह मुश्किल वक्त में हमें अकेला भटकने के लिए छोड़ देता हैं। ड्राइंग रूम से आरंभ हुई कहानी का अंत भी ड्राइंग रूम में ही होता है।   ऐजाज एक उभरता हुआ कवि एवं कथाकार है जो पिता के घर से चले जाने के बाद अपनी माँ नफीसा और एक पैर से विकलांग बहन लुबना का खर्च उठाने के लिए फेक्ट्री में काम करता है। जहाँ उसकी मुलाकात अमजद से होती है, यह अमजद वही है जो लुबना का सहपाठी रहा है। वह उन दिनों उसे पसंद भी करती थी, किन्तु यह बात कभी कह नहीं पाती है। माँ के द्वारा लुबना के लिए लड़का ढूंढने पर जोर देने के कारण ऐजाज, अमजद को घर लेकर आता है। जहां लुबना अपने पुराने सहपाठी को पाकर स्कूल की स्मृतियों में चली जाती है, किन्तु अमजद की कहीं और शादी होने की खबर से पूरा परिवार स्तब्ध हो जाता है। ऐजाज घर में हुए विवाद के कारण घर छोड़कर चला जाता है। वह कई दिनों के बाद अपराध बोध से ग्रस्त जब घर लौटकर आता है तब वह अपनी आप बीती एक संघर्षशील व्यक्ति की कहानी से जोड़कर अनेक सवाल दर्शकों के समक्ष खड़े करता है।     निर्देशक के अनुसार एक सीधी सी कथा रेखा पर यह नाटक चलता है अतः इसे एक ड्राइंग रूम के सेट पर ही स्थित किया गया। कहानी से जुड़े रहने के लिए निर्देशक ने मंच पर पुराने टाईपराइटर के साथ बत्ती गुल होने पर मोमबत्ती का भी प्रयोग किया। वहीं प्रकाश के माध्यम से पात्रों को चांद के समक्ष भी बातें करते हुए दिखाया। किन्तु भोपाल के रंगप्रेमियों को संभवतः मंचन में प्रयोग किए गये संवादों से अच्छी उर्दू की अपेक्षा रही होगी। निर्देशक द्वारा मंच पर पूर्ण तरह मुश्लिम परिवेष दिखाने में भी चूंक दिखाई दे रही थी। कहीं-कहीं नाटक की गति धीमी प्रतीत होती है। मंजे हुए पात्रों के सधे अभिनय की हम बात करें तो कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भारत भवन में कई दिनों बाद एक अच्छी नाट्य प्रस्तुति देखने को मिली। सूत्रधार एवं प्रोढ़ ऐजाज की भूमिका राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के प्रभारी निदेशक सुरेश शर्मा ने निभाई। वहीं नफीसा की भूमिका में अन्जू जेटली दिखाई दी, तो शीशे के खिलौनों से खेलती हुई मुख्य भूमिका में इन्दिरा तिवारी थी। अन्य भूमिकाओं में अंकुर सक्सेना एवं अमित सक्सेना ने अभिनय किया।  

यतीन्द्र अत्रे

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