भोपाल। आजादी के इतिहास के पन्नों में काकोरी कांड एक महत्वपूर्ण घटना है। 9 अगस्त 1925 को हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारियों ने काकोरी रेल्वे स्टेशन के पास ट्रेन को रोककर ब्रिटिश सरकार का खजाना लूट लिया था। इस घटना को दर्शाते नाटक काकोरी का मंचन शुक्रवार को शहीद भवन में हुआ। रामप्रसाद बिस्मिल शाहजहांपुर में बैठक कर अंग्रेजों के सरकारी खजाने को लूटने की योजना बनाते हैं। राष्ट्रीय एकता का परिचय देते हुए काकोरी कांड के सभी क्रांतिकारी एकजुट होकर ट्रेन से सरकारी खजाने को लूटने के प्रयास में सफल होते हैं। क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया जाता है लेकिन चंद्रशेखर आजाद पुलिस के चंगुल से बचकर निकल जाते हैं जबकि रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक, रोशन सिंह एवं राजेन्द्र लाहिड़ी को फांसी की सजा दी जाती है। देशप्रेम की भावना से सजे इस नाटक का दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया।
वरिष्ठ रंगकर्मी दिनेश नायर की पटकथा एवं अधीशा नायर के नाट्य रूपांतरण पर तैयार नाटक काकोरी का निर्देशन श्रद्धा शर्मा द्वारा किया गया। अनूप शर्मा के सहायक निर्देशन में रंग महिमा थिएटर सोसायटी भोपाल के कलाकारों ने सशक्त अभिनय कर काकोरी कांड के लिए किये गये संघर्ष को साकार कर दिया। रामप्रसाद के रूप में रोहित पटेल, अशफाक बने विभांशु खरे, राजेन्द्र लाहिड़ी बने हिमांशु प्रजापति एवं आजाद की जीवटता को दिखाते पियूष सैनी सहित जयंत, वेदांग, संतोष, विशाल, मोहित, आधार, राजवीर आदि कलाकारों को अभिनय सराहनीय रहा। मुकेश जिज्ञासी की नयनाभिराम प्रकाश परिकल्पना, प्रणव शर्मा की मंच परिकल्पना, संघरत्ना बनकर का नृत्य निर्देशन एवं कोरस द्वारा वंदे मातरम्…. एवं रंग दे बसंती…. जैसे गीतों ने देशभक्ति की धारा का संचार किया।