यतीन्द्र अत्रे
इस समय ब्रिटेन, ईरान और फिर अमेरिका में हो रही राजनीतिक उथल-पुथल पूरे विश्व का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रही है। जहां ब्रिटेन में भारत वंशी ऋषि सुनक की पार्टी को पिछले 190 वर्षों में सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा है वहीं अमेरिका में जो बाइडेन के कमजोर पढ़ने से ट्रंप लाभ लेने की दिशा में आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं लेकिन भारतवंशी कमला हैरिस उनका रास्ता रोकते हुए दिखाई दे रही हैं। इन दोनों देशों की चर्चा हम करें उसके पूर्व ईरान में हो रहे बदलाव की ओर ध्यान देने की आवश्यकता होगी। वहां जो कभी नहीं हुआ वह वहां की जनता ने कर दिखाया है। हाल ही में आए चुनाव नतीजों के अनुसार ईरान की जनता ने सुधारवादी नेता मसूद पजशकियान को अपना नया राष्ट्रपति चुना है। मसूद ने कट्टरपंथी कहे जाने वाले जलीली को हरा दिया है। मसूद वहां की जनता के समक्ष सबसे अलग कैसे बने ? चर्चा है तो सिर्फ इसी बात की, कहा जा रहा है कि दिल के डॉक्टर मसूद पजशकियान का नए ईरान’ का नारा वहां के लोगों के दिलों में उतर गया है। उन्होंने वहां के लोगों से हिजाब की अनिवार्यता से मुक्ति का वादा किया है। उनके इस वादे को वहां की जनता एक नए ईरान के रूप में देख रही है। इस तरह से मसूद वहां की जनता का आंख का तारा बन गए हैं। हालांकि मसूद की इस दिशा में डगर कठिन होगी, लेकिन बदलाव के लिए वहां की जनता उनके साथ होगी। परिणामों के अनुसार मसूद को मिले एक करोड़ 64 लाख मतों में 50% युवा वर्ग के बताए जा रहे हैं। यानी कि बदलाव का बिगुल वहां युवा वर्ग ने बजाया है, इसे विश्व में ईरान की एक नई पहचान के रूप में देखा जा रहा है। यहां भारत का उल्लेख करना भी आवश्यक होगा क्योंकि भारत ने यह काम कई वर्षों पूर्व कर दिया है। देश ने महिलाओं को पुरुषों के समान मुख्य धारा में सम्मिलित कर कट्टरपंथी राष्ट्रों को यह जाता दिया था कि हमारी सोच उनसे बहुत अलग हैं। देश में आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं, वहीं वे अपने निर्णय के लिए भी स्वतंत्र होती हैं। यह देश के लिए गर्व का विषय होगा कि यहां देश की प्रथम नागरिक महामहिम द्रौपदी मुर्मू है जो की एक महिला है। देश ही नहीं वरन विदेशों में भी भारतवंशी महिलाएं आज स्वतंत्र रूप से अपनी पहचान बनाए हुए हैं। ब्रिटेन में आज भारतीय मूल के 26 सांसद निर्वाचित हुए हैं जिनमें प्रीत कौर गिल,सतवीर कौर, हार्षित कौर, किरिथ अहलूवालिया और सोनिया कौर सम्मिलित है। इसे भारत के लिए सकारात्मक संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है, जिसमें वीजा पाबंदी शिथिल करने के साथ अनुमान है कि कश्मीर समस्या पर ब्रिटेन भारत के साथ होगा।
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