यतीन्द्र अत्रे
विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत स्वतंत्रता के 100 वें वर्ष में फिर सोने की चिड़िया होगा। इतिहास में झांककर देखें तो ज्ञात होगा कि ईसा पूर्व 3500 में भारत में ऐसी अर्थव्यवस्था निर्मित थी जहां सोने के सिक्कों का चलन था। कहते हैं कि उन दिनों भारत में गरीबी और बेरोजगारी बिलकुल नहीं थी, देश सैकड़ो वर्षों तक खुशहाली के साथ आगे बढ़ता रहा। संभवत यही कारण रहा होगा जब मुगलों और उसके बाद अंग्रेजों का ध्यान इस और आकर्षित हुआ। उनके आगमन से भारतीय व्यवस्था चरमराने लगी, क्योंकि इनका उद्देश्य मात्र लूट खसोट करना था। उन्होंने धर्म और जातिगत वैमनस्यता के बीज बोकर हमारे दिलों में दरारें पैदा की,वही दूरियां आज तक कायम है। कहते हैं कि अंग्रेजों ने 45 ट्रिलियन डॉलर लूटे जिससे सोने की चिड़िया कहलाने वाला भारत गरीबी और भुखमरी की दिशा में अग्रसर होने लगा। और जब कुछ नहीं बचा तब अंग्रेजों ने वतन हमारे हवाले कर दिया, हम भोले भारतवासी इसे समझ नहीं पाए। अंग्रेजों के जाने के बाद हमने स्वतंत्रता के गीत गाकर खुशियों का इजहार किया लेकिन उस समय देश के नेताओं के समक्ष देश की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करना सबसे बड़ी चुनौती थी। परिणाम स्वरुप 1947 में ही पाकिस्तान हमसे अलग हो गया। उसके बाद देश को 1965, 1971 और उसके बाद 1999 में युद्ध की मार को झेलना पड़ा। देश के बजट का बड़ा हिस्सा भारत की सीमा सुरक्षा में लगने लगा। उन दिनों युद्ध की दहशत ऐसी थी कि दिन और रात हम आसमान की ओर देखते थे कि, कहीं दुश्मन का विमान आकर हमारे सपनों को ध्वस्त ना कर जाए। समय बीतता गया हमारे पास यदि कुछ था तो हमारी हिम्मत। कईं बार दुनिया से अच्छी प्रतिक्रियाएं नहीं आई लेकिन हम हिले नहीं द्य आज देश को स्वतंत्र हुए 77 वर्ष हो गए हैं, जो आलोचक थे उनकी प्रतिक्रियाएं बदली है। आज देश फिर से नया इतिहास लिख रहा है। आज भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, और अब वह दिन भी दूर नहीं जब हम विकसित राष्ट्रों की श्रोणी में होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राएं रंग ला रही है, यह दुनिया देख रही है कि विदेशी कंपनियां चीन की अपेक्षा अब भारत में उद्योग लगाने हेतु रुचि दिखा रही हैं। एक ओर प्रधानमंत्री कमान संभाले हैं, वे पूरी दुनिया में छाए प्रवासी भारतीयों को भी विकास की मुख्य धारा में सम्मिलित होने हेतु प्रेरित करते हैं, मोदी विदेशों में स्वयं को मिले सम्मान को करोड़ों भारतीयों को समर्पित करते आए हैं। वहीं राज्य भी इन्वेस्टर समिट के माध्यम से अपने यहां उद्योग लगाने हेतु सहयोग कर रहे हैं देश का ह्यदय कहलाने वाला मध्य प्रदेश भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। बीमारू राज्य की श्रोणी से निकल प्रदेश ने अपनी पहचान बदली है। सड़कों के माध्यम से गांव तक जाना अब कठिन नहीं रहा, बेटियां पढ़कर बेटों के बराबर देश की प्रगति में अपना हाथ बता रही है। गांव-गांव शहर-शहर नल-जल योजना ग्रामीणों की खुशियां बढ़ा रही है। आईए हम सब मिल प्रगति की राह में स्वतंत्रता के गीत गाऐं। अपनी आलोचना से बच्चे और देश के लिए दिए बलिदानों को याद करते हुए देश को विकसित राष्ट्र की श्रोणी में लाकर खड़ा करें।
जय हिंद जय भारत
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