यतीन्द्र अत्रे
भारत के पड़ोसी देशों में गहराते संकट वहां हो रही उथल-पुथल देश के लिए चिंता की लकीरें खड़ी कर रही है। यह एक विडंबना ही कहेंगे कि भारत से अलग हुए पड़ोसी देशों में अधिकांश भारत के हितों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं रखते हैं। अपवाद स्वरूप भूटान को छोड़ दें तो वर्तमान परिदृश्य में मालदीव और नेपाल की सरकारें पिछले कईं वर्षों से चीन समर्थक रही है, वहीं यह भी सभी भलीभांति जानते हैं कि पाकिस्तान कभी भी भारत के हित में सकारात्मक रूप से अपना कदम नहीं बढ़ाएगा। खबरें यह भी आ रही हैं कि 21 सितंबर को श्रीलंका में राष्ट्रपति के चुनाव होने जा रहे हैं, जहां चीन और अमेरिका समर्थक प्रत्याशी अपनी जीत के प्रति आशव्स्त दिखाई दे रहे हैं। यदि ये प्रत्याशी जीत का सेहरा पहन लेते हैं, तब यह कहना गलत नहीं होगा कि वे कभी भी भारत के हितों के अनुरूप काम नहीं करेंगे या भारत से मित्रवत संबंध बनाने के प्रयास करेंगे। अब रही बांग्लादेश की बात जहां शेख हसीना सरकार भारत के अनुरूप कार्य कर रही थी, लेकिन अब वहां की स्थिति किसी से छुपी नहीं रही है। ऐसे में भारत का चिंतित होना स्वाभाविक है क्योंकि अब दोनों देशों के मध्य पांच दशक पुराने सांस्कृतिक रिश्ते प्रभावित होने की आशंका है, वहीं बांग्लादेश भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार रहा है। क्या वही स्थिति वैसी ही निर्मित रहेगी, इसमें संशय है। बांग्लादेश के नवनिर्वाचित प्रमुख सलाहकार नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने वर्ष 2022 में समाचार पत्रों में प्रकाशित अपने लेख के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया था कि हमें अपने देश को भविष्य पर फोकस करने वाले नई पीढ़ी के नेताओं की जरूरत है। उसमें उन्होंने विशेष कर छात्र नेतृत्व को लेकर जोर दिया था। अब वह समय है जब वे अपने विचारों को अमल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। लेकिन क्या ऐसा करने के लिए वहां की स्थिति उनके अनुकूल होगी। वर्तमान परिदृश्य जो मीडिया के माध्यम से सामने आ रहा है उससे तो नहीं लगता कि यह सम्भव होगा। देश की बागडोर सम्हालने वाले कईं युवा छात्र जिस तरह से मीडिया के सामने प्रदर्शित कर रहे थे। क्या देश की बागडोर ऐसे ही कंधों पर जाते देख वहां की जनता साक्षी बनेगी, जो मानसिक रूप से ग्रसित हों। जब पूर्व प्रधानमंत्री के बारे में युवा कर्ण धारों की यह सोच है तब वहां के सामान्य नागरिकों की क्या स्थिति होगी। संभवतः यही कुछ कारण होंगे जब सामान्य बांग्लादेशी नागरिक अपने को असहाय मान झुंड की शक्ल में सीमा पर भारत में शरण लेने के लिए जवानों से विनती कर रहे हैं। जो कुछ भी हो रहा है ठीक नहीं है, उसमें भारत का चिंतित होना स्वाभाविक है। क्योंकि वहां के नागरिक भी पूर्व में हमारे देश का हिस्सा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोहम्मद यूनुस को बधाई देते हुए बांग्लादेश में सामान्य स्थिति की बहाली तथा अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु उम्मीद की है।
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