यतीन्द्र अत्रे
4 अक्टूबर 1977 का वह दिन जब भारत के तात्कालिक विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिवेशन में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के बीच अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में अपने भाषण की शुरुआत करते हैं- मैं भारतीय जनता की ओर से राष्ट्र संघ के लिए शुभकामना संदेश लाया हूं। उनकी बुलंद आवाज और राष्ट्रभाषा हिंदी में संबोधन दोनों ही दूसरे देशों से आए प्रतिनिधियों को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त थे। समाचारों के अनुसार संबोधन के उपरांत सभा स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। देश ही नहीं वरन् विदेशों में भी सुनने वाले उनकी बोलने की विचित्र शैली से मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे। ऐसा बिरला व्यक्तित्व जिसके बारे में उनकी युवावस्था में ही अनेक विद्वान पुरुषों ने यह भविष्यवाणी कर दी थी कि एक दिन यह व्यक्ति देश की बागडोर संभालेगा। 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक शिक्षक परिवार में जन्म लेने वाला यह व्यक्तित्व देश में अटल बिहारी वाजपेई के नाम से चर्चित हुआ। अटल जी के बारे में अक्सर यह कहा जाता रहा है कि वे जब भी भाषण देते या किसी विषय पर चर्चा करते उसके पूर्व संबंधित विषय का अच्छी तरह से अध्ययन कर लिया करते थे। उनके बोलने की विचित्र शैली के बारे में एक बार उनसे जब पूछा गया तो उन्होंने बड़े ही सहज भाव से कहा था कि- शिक्षा के दौरान जब मैं पहली बार एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाषण देने खड़ा हुआ तब वहां मेरी बहुत हंसी हुई क्योंकि मैं बिना तैयारी के मंच पर खड़ा था] सो भाषण बीच में ही भूल गया, लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया रटकर कर आया है, रटकर आया है। तब से मैंने संकल्प लिया कि मैं रटकर कभी नहीं बोलूंगा और फिर जिसने भी अटल जी का भाषण सुना या उन्हें बोलते हुए देखा यह माना की अटल जी बिना पड़े] बिना रुके घंटों किसी विषय पर चर्चा कर सकते हैं। अटल जी के बारे में समाचार पत्रों, पुस्तकों में प्रकाशित आलेखों के अनुसार लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी आत्मकथा पुस्तक ‘मेरा देश मेरा जीवन’ में अटल जी के बारे में उनसे हुई मुलाकातों के बारे में लिखा है कि वह नियति पुरुष ऐसे नेता है जिसे एक दिन भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहिए, वहीं इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि जवाहरलाल नेहरू ने एक बार किसी विदेशी मेहमान से अटल जी का परिचय कराते हुए कहा था कि यह नौजवान एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा। नेहरू जैसी देश की अनेक हस्तियों के विश्लेषण और अपने कभी हताश न होने वाले व्यक्तित्व को साथ लिए अटल जी पहले विदेश मंत्री फिर तीन बार देश के प्रधानमंत्री बन देश की विकास योजनाओं के सारथी बने। 10 बार लोकसभा तो दो बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए, पद्म विभूषण, सर्वश्रेष्ठ सांसद, लोकमान्य तिलक और फिर भारत रत्न से सम्मानित अटल जी में एक कवि हृदय भी बस करता था। ता उम्र उनके नाम के साथ उनकी लिखी यह पंक्तियां बहुत चर्चित रही हैं हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा। इस बार 25 दिसम्बर से अटलजी का जन्म शताब्दी वर्ष आरम्भ हो रहा है। ऐसे विरले व्यक्तित्व को देश वर्षों तक नमन करता रहेगा।
मो : 9425004536