यतीन्द्र अत्रे
भाजपा शासित प्रदेश राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जहां जनता को नए मुख्यमंत्री मिले हैं, उन सभी प्रदेशों में देखा जाए तो विकास कार्य द्रुत गति से चल रहे हैं। उन आलोचकों पर यह करारा प्रहार होगा जो यह कह रहे थे कि नए चेहरे ज्यादा दिन टिक नहीं पाएंगे। अंतर विरोध की संभावनाएं भी जताई जा रही थी जबकि इसके विरुद्ध ना तो अंतर विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं और ना ही विकास कार्यों में रुकावट नज़र आ रही है। जनसामान्य में यह चर्चा का विषय है कि प्रदेश स्तर पर अधिकारियों में फेर बदल से प्रशासनिक स्तर पर कसावट अनुभव की जा रहा है, वहीं जनता का भरोसा मोदी जी के प्रति बढ़ रहा है। अब मध्य प्रदेश की बात करें तो मुख्यमंत्री स्वयं विकास कार्यों में रुचि ले रहे हैं, साथ ही जनता से सीधे संवाद का उनका प्रयास भी रंग ला रहा है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री जब अचानक सीएम हेल्पलाइन का निरीक्षण करने उज्जैन के स्मार्ट सिटी कार्यालय स्थित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल रूम में पहुंचे तो उन्होंने हेल्प लाइन पर शिकायत करने वालों से फोन पर सीधी बात की उस समय शिकायतकर्ता चैंक उठे क्योंकि उन्हें फोन पर मुख्यमंत्री की आवाज सुनाई दे रही – हेलो मैं मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव बोल रहा हूं…मुख्यमंत्री ने शिकायतकर्ताओं को बुलाकर उनकी समस्याओं का निराकरण भी किया। सीधे संवाद की प्रक्रिया से वे प्रदेश की जनता को सम्भवतः यह जताना चाह रहे हों कि प्राथमिकता के आधार पर उनकी नज़र जनता की समस्याओं पर है। समाचारों के अनुसार भाजपा 25 फरवरी से हितग्राही संपर्क अभियान शुरू कर रही है, कहा जा रहा है कि गांव चलो अभियान के बाद यह दूसरा बड़ा अभियान होगा जिसमें मुख्यमंत्री के साथ मंत्री सांसद, विधायक और कार्यकर्ता एक साथ होंगे। मजे की बात यह है कि इसी समय राहुल गांधी की न्याय यात्रा भी प्रदेश में प्रवेश करेगी। देखना यह होगा कि भाजपा धारा 370 की समाप्ति के लिए अपने कथनानुसार यह भावनात्मक संदेश हर बूथ तक पहुंचाती है या राहुल गांधी न्याय यात्रा के माध्यम से मध्य प्रदेश में नई इबारत लिखने का प्रयास करेंगे। हालांकि इसकी संभावना बहुत कम नज़र आ रही है क्योंकि विधानसभा चुनाव के समय कपड़े फाड़ने के दृश्य और उसके बाद हाल ही में बड़े नेताओं की दल-बदल को लेकर आँख-मिचोली की खबरें भी मतदाताओं के समक्ष प्रत्यक्ष है। बहरहाल लोकसभा चुनाव निकट हैं, आचार संहिता लगने वाली है। संभवतः मई के पखवाड़े में हम नई सरकार बनाने के लिए तत्पर होंगे। यह भी सत्यवचन है कि अगले दो-तीन माह कठिन होंगे क्योंकि फिर से वही भ्रम की स्थिति निर्मित होगी। अब यह हमें तय करना होगा कि एक स्थिर सरकार के साथ विश्व में तीसरी इकोनामी शक्ति बनने और देश में विकास की नई तस्वीर बनते हम देखना चाहेंगे या मिली जुली सरकार के साथ देश को अस्थिरता की ओर ले जाने के भागीदार होंगे। निर्णय हमारा है सरकार भी हमारी होगी।
जय हिंद जय भारत
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