Advertisement

तू! आम नही

दीपक चाकरे सुस्त हो, बैठा मुसाफिर,सुस्ताना तेरा काम नही?अभी तो सफ़र बाकी है,यह आखिरी मुकाम नही?बहुत लम्बा है रास्ता,अभी तो…

Read More

दोस्ती

विक्रमादित्य सिंह कितना हसीं है, हमनवीं है, एक नशा है दोस्तीजिंदगी का सार है….. एक फलसफां है दोस्तीहै कभी यह…

Read More

बता सको तो

संदीप राशिनकर लोकल में, रास्ते मेंबस की कतारों, या भीड़ मेंकही तो टकराया होगावो आपसे भी, और पूछाहोगाअपना नाम, पहचानऔर…

Read More

म.प्र. की यह पहल भाषाई इतिहास में सदैव उल्लेखनीय रहेगी- प्रो कविता रस्तोगी

भोपाल। जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा विगत वर्ष से टॉकिंग डिक्शनरी बनाने का अभिनव कार्य प्रारंभ किया…

Read More

ढका गगन

दीपक चाकरे गगन को ढका बादलों ने,चहूँ ओर देखो छाया हैं।सर्द भरे छोटे दिन,शीत लहरों ने भरमाया हैं।।छूप रहाँ हैं…

Read More