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लोकमाता अहिल्या से सतवाणी सुरो तक – उत्तर रंग में सजी संस्कृति की संध्या

भोपाल। विश्वरंग 2025 के अंतर्गत चौथे दिन “उत्तर-रंग” कार्यक्रम के अंतर्गत रवीन्द्र भवन परिसर में विशेष सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें संगीत और रंगकर्म की दो उत्कृष्ट प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। संध्या का आरंभ सातवानी गायन से हुआ और समापन लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर आधारित भव्य महानाट्य *अहिल्या रूपेण संस्थिता”* के मंचन के साथ हुआ। इस दौरान कार्यक्रम का संचालन श्री विनय उपाध्याय द्वारा किया गया।


शाम के सत्र में राजीव सिंह एवं साथियों द्वारा प्रस्तुत सातवानी गायन ने श्रोताओं को सूफियाना और लोक रंग में डुबो दिया। गायन की शुरुआत बंदिश *सांसों की माला…”* से हुई, जिसके बाद *मन लागो मेरो यार फकीरी में…”, “काहे को ब्याही विदेश…”, “जुगनी कहती या…”* तथा बंदिश *दुनिया में बादशाह है वो भी है आदमी…”* जैसी भावपूर्ण रचनाओं ने सभागार को सुरों से सराबोर कर दिया। मुख्य गायन राजीव सिंह ने किया, जिनके साथ अमन मलक और रोहित वानखेड़े स्वर-संगति में रहे। सारंगी पर हनीफ हुसैन, ढोलक पर तनिष्क ठाकुर, तबले पर शाहनवाज, ऑक्टोपैड पर इकबाल खान तथा कीबोर्ड पर शहीद मासूम ने संगत देकर प्रस्तुति को सजीव और प्रभावशाली बनाया।

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