भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य, गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि संभावना का आयोजन विगत दिवस किया गया है, जिसमें इस बार 8 जुलाई को बुन्देली बोली में सावन के गीत श्री सुमित दुबे एवं साथी, नरसिंहपुर द्वारा एवं श्री कमलेश नामदेव एवं साथी, नरसिंहपुर द्वारा अहिराई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। शुरूआत बुन्देली बोली में सावन के गीत प्रस्तुति से की गई। कलाकारों ने घरर घरर नदिया बहे, अरे रैया गोरिधन पनिया खो जाये (रैया गीत)…, छाई कारी घटा घनघोर घुमड़ घिर घिर आ रय बदरा कारे पाई (लेद)…,के अरे रामा सजे कमर-करधनिया, धनिया यौवन धनवारी (कजरी गीत)…, ले गए चीर मुरारी,हमारो हर ले गए रे (सेरा गीत)…, के सावन भादों की धुंआधार बदारिया,बरस रही भारी (साहुन गीत)…., गीतों की प्रस्तुति दी। मंच पर गायन में श्री सुमित दुबे, कोरस और खड़ताल वादक में श्री राजेश दुबे, हारमोनियम वादन में श्री अंकित दुबे, कोरस और नगड़िया वादन में श्री कपिल नेमा, मजीरा वादन में श्री राजीव शर्मा, ढोलक वादन में श्री दशरथ मेहरा ने संगत की।
अगले क्रम में श्री कमलेश नामदेव एवं साथी, नरसिंहपुर द्वारा अहिराई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। यह नृत्य यादव सुदाय के द्वारा किया जाने वाले अहीर नृत्य मुख्य रूप से कृष्ण जन्मावेसी से प्रारंभ होता है, जो दीपावली की अमावस्या से प्रारंभ होता है एवं अगहन (मार्गशीर्ष ) की पूर्णिमा को समापन होता है। साथ ही मड़ई मेला ग्रामीण क्षेत्रों मे उत्सव का आयोजन होता है, जिसमें अहीर नृत्य किया जाता, जो कि आकर्षण का केन्द्र रहता है। इसमें मृदंग, बांसुरी, कसावरी का प्रयोग कर नृत्य किया जाता है। यह नृत्य दीवारी गायन के पदों पर कंधईया छंद का उपयोग कर नृत्य किया जाता है।
संभावना गतिविधि में बुन्देली में सावन के गीत और अहिराई नृत्य की प्रस्तुति हुई

Leave a Reply