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वनमाली सृजन केंद्र, भोपाल का पहला आयोजन

डॉ उर्मिला शिरीष का कथा पाठ एवं विमर्श

भोपाल। वनमाली सृजन केंद्र की भोपाल इकाई द्वारा आज स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय के वनमाली सभागार में वरिष्ठ कथाकार डॉ उर्मिला शिरीष का कथा पाठ आयोजित किया गया। इस आयोजन में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार और कथाकार श्री शशांक उपस्थित रहे और विशिष्ट अतिथि के रूप में वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष श्री मुकेश वर्मा शामिल थे। गौरतलब है कि वनमाली सृजन केंद्र, भोपाल का गठन इस माह किया गया जिसकी अध्यक्ष डॉ. वीणा सिन्हा भी इस आयोजन में शामिल थी। डॉ उर्मिला शिरीष समकालीन हिंदी साहित्य में जाना माना नाम है। ऐसे में वनमाली सृजन केंद्र भोपाल के पहले आयोजन में डॉ उर्मिला का कहानी पाठ भोपाल इकाई के लिए एक विशेष आयोजन रहा।

कार्यक्रम की शुरुआत में वनमाली सृजन केंद्र की भोपाल इकाई की अध्यक्ष डॉ वीणा सिन्हा ने भोपाल इकाई के आगामी आयोजनों की परिकल्पना के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि सृजन केंद्र के उद्देश्यों में भोपाल के साहित्यिक जगत में गुणवत्तापूर्ण आयोजन करना है। साहित्यिक आयोजन ही नहीं बल्कि शहर में स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना भी इस केंद्र का एक मुख्य बिंदु है। डॉ उर्मिला शिरीष ने अपनी कहानी “नानी की डायरी” का पाठ किया। उनके मार्मिक कहानी पाठ से सभी सुनने वाले भावुक हो उठे।

डॉ उर्मिला शिरीष की कहानी पाठ के बाद कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश वर्मा ने उनकी कहानी पर चर्चा की। श्री मुकेश वर्मा ने कहा की डॉ. उर्मिला शिरीष की कहानी संबंधों के ताने-बाने पर प्रकाश डालते हैं। उन्होंने डॉ. उर्मिला शिरीष के कथा लेखन की प्रशंसा करते हुए कहा कि समकालीन हिंदी साहित्य में उर्मिला शिरीष एक महत्वपूर्ण रचनाकार के रूप में दिखाई देती हैं। उनका लेखन प्रेमचंद की रचनाओं की तरह मानवीय मूल्य की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा की डॉ. उर्मिला शिरीष की कहानी मध्यम वर्ग की वेदना को प्रकट करती है। श्री मुकेश वर्मा ने वनमाली सृजन केंद्र की भोपाल इकाई के इस आयोजन की सराहना करते हुए सभी सदस्यों को बधाई दी।

टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र के निदेशक श्री विनय उपाध्याय ने उर्मिला शिरीष के कहानी पाठ के पश्चात उनकी हिंदी साहित्य में उपस्थित को महत्वपूर्ण बताते हुए बताया कि किस तरह डॉ. उर्मिला शिरीष का साहित्य अपने समय की महत्वपूर्ण आवाज है। वरिष्ठ साहित्यकार श्री शशांक ने डॉ. उर्मिला शिरीष की कहानी नानी की डायरी पर विस्तार से विवेचना करते हुए कहा कि उनकी एक यह कहानी भारतीय समाज में महिलाओं की भावनात्मक स्थिति पर रोशनी डालती है। उन्होंने कहा कि डॉ उर्मिला शिरीष की कहानी विविध रंगों की है जिसमें बेचैनी और विडंबना भी एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में दिखाई देता है। उनकी कहानियों में जिस तरह के संवाद हैं वे अपने आप में कहानियों के चरित्र को जीवित करते हैं। श्री शशांक ने कहा की डॉ. उर्मिला शिरीष की कहानी में यथार्थ कौशल और तटस्थता दिखाई देती है और साथ ही कथा में प्रवाह के कारण कहानी को डायरी के रूप में रखना एक सुंदर विचार है। डॉ उर्मिला शिरीष की कहानी पाठक को नैतिक संवेदना की ओर लेकर जाती है।

इस आयोजन में शहर के अनेक प्रतिष्ठित एवं वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में डॉ मौसमी परिहार ने आयोजन में उपस्थित अतिथियों, वनमाली सृजन केंद्र के सदस्यों और स्कोप ग्लोबल स्किल विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारी का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन वनमाली सृजन केंद्र भोपाल की संयोजक सुश्री विशाखा राजुरकर राज ने किया।

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