भोपाल। आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र स्वर्ण जयंती पार्क कोलार रोड़ भोपाल के योग साधकों एवं गुरुजनों द्वारा द्वारा 26 जनवरी 76 वें गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर प्रातः 8 बजे सामूहिक योग साधना करके सभी देशवासियों को जीवन में खुशहाली समृद्धि एवं स्वास्थ्य प्राप्त हो इसके लिए प्रार्थना की गई। देश भक्ति गीत संगीत के साथ पर्व धूमधाम से मनाया गया। प्रमुख रुप से योगाचार्य महेश अग्रवाल, वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य रमेश संगमकर सुनील सोलंकी, शरद नामदेव, आदित्य सिंह, श्रद्धा गणपते, आशा गजभिये, श्वेता केंदुलकर, सविता असवानी, सुनीता जोशी, सारंगा नगरारे, परवीन किदवई, हँसा सिंह, उषा सोनी, नर्मदा चङोकर, लता बंजारी, बच्चे सानवी एवं धानी असवानी उपस्थित रहें।
योग गुरु अग्रवाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति के सभी पर्व योग की शिक्षा के साथ अनुशासन,स्वच्छता,आत्मीयता, संकल्पों को गति, दिनचर्या में परिवर्तन एवं शुभ भाव में रहने का संदेश देते है। योग करने से आत्मविश्वास बढ़ता है एवं जीवन में अनुशासन व्यक्ति को परिवार समाज एवं देश के लिए सेवा के लिए तैयार करता है।
योग गुरू अग्रवाल ने इस अवसर पर सभी को शुभकामनायें देते हुए कहा कि व्यक्ति अपना जीवन योगमय तभी बना सकता है जब उसके प्रत्येक कार्य में पवित्रता और सात्त्विकता हो। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस देश के ऐसे त्योहार हैं जिनके माध्यम से देश में एकता और अखंडता दिखती है। हर दिल और हर घर में देश के तिरंगे के प्रति सम्मान दिखता है। जब तिरंगे के प्रति यह सम्मान आत्मसात होकर देश की सेवा में बदल जाता है तो वही सच्चा गणतंत्र दिवस होता है। तिरंगा हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक है। इसी तिरंगे के लिए वीर सेनानियों ने अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया है। इसके केसरिया, सफेद और हरा रंग क्रमश: उत्सर्ग, शांति और समृद्धि के प्रतीक हैं। इसके मान-सम्मान की रक्षा करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। तीन रंग का तिरंगा हम सभी को सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता के एक सूत्र में बांधता है। हम सभी संकल्प लें कि वैश्विक मंच पर भारत की आवाज सदैव प्रखरता के साथ गुंजायमान हो, तथा हर नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए आत्मनिर्भर भारत के संकल्पों को साकार करें। तिरंगा हमारी पहचान है, और सम्मान भी हमें कर्तव्यबोध के साथ राष्ट्र, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए। देश के नव-निर्माण के लिये आज ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता है जिनने प्रलोभनों को ठुकरा दिया हो। ऐसे ही व्यक्तियों ने जीवन में योग का शुभारम्भ किया है। उनके हाथों में राष्ट्र अवश्य सुरक्षित है। वर्तमान हिंसात्मक प्रवृत्तियों में लिप्त राष्ट्र के कर्णाधार यहाँ इतना समझ लें कि जो अब भयंकर हिंसा कर सकते हैं, वे ही हाथ रक्षा भी कर सकते हैं। देश, शान्ति, समृद्धि और सुख का भार जिनके सिर पर है, वे यदि अपने को योगमय बना दें तो जीवन की सफलता शत-प्रतिशत निश्चित है। योग का अर्थ क्या है? राजयोग, ज्ञानयोग, हठयोग? नहीं, ‘योगः कर्मसु कौशलम्’। जो भी कार्य हमारे हाथ में हो, उसे कुशलतापूर्वक पूरा करना, अर्थात् जीवन के जिस योग में भी हो, उसे कुशलतापूर्वक पूरा करना। उस कर्तव्य का पूर्ण पालन हम तभी कर सकते हैं जब हम जान लें कि प्रत्येक व्यक्ति का कार्य दो भागों में बँटा रहता है। एक स्वजाति के प्रति और दूसरा समाज के प्रति।
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