भोपाल। रायसेन पुलिस और रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में सायबर सुरक्षा पर जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि श्री मिथिलेश शुक्ला आई.जी. रायसेन, म.प्र., बतौर विशिष्ट अतिथि श्री प्रशांत खरे, डी.आई.जी. रायसेन म.प्र., श्री पंकज पाण्डेय, एस.पी. रायसेन, श्री राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज़ मंडीदीप, डॉ. संजीव गुप्ता, प्रो-वाइस चांसलर आरएनटीयू, वहीं बतौर मुख्य वक्ता श्री योगेश पंडित, साइबर एक्सपर्ट एवं एडवोकेट, श्री अनंत श्रीवास्तव, साइबर एक्सपर्ट, श्री शैलेन्द्र कुमार, सीनियर टेक्निकल लीड विशेष रूप से उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों, विद्यार्थियों एवं संस्थानों को साइबर अपराधों से बचाव के उपायों के प्रति जागरूक करना था।
मुख्य अतिथी श्री मिथिलेश शुक्ला आई.जी. रायसेन, म.प्र. ने कहा “डिजिटल युग में सायबर सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।” आज के समय में हम सभी इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं, चाहे वह बैंकिंग हो, सोशल मीडिया हो या हमारे निजी और व्यावसायिक डेटा का प्रबंधन। लेकिन जैसे-जैसे डिजिटल सुविधाएं बढ़ रही हैं, वैसे-वैसे साइबर अपराधों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। सायबर अपराधी नए-नए तरीके अपनाकर आम नागरिकों को धोखाधड़ी का शिकार बना रहे हैं। हमने देखा है कि फिशिंग, रैंसमवेयर, ऑनलाइन ठगी, फर्जी कस्टमर केयर कॉल, डेटा चोरी, हैकिंग और अन्य सायबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। इनसे बचने के लिए हमें न केवल सतर्क रहना होगा, बल्कि सायबर सुरक्षा के सही उपाय भी अपनाने होंगे। रायसेन पुलिस नागरिकों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है और इसी उद्देश्य से सायबर सुरक्षा पर जागरूकता अभियान चला रही है।



विशिष्ट अतिथि श्री प्रशांत खरे, डी.आई.जी. रायसेन ने कहा “सायबर अपराध केवल तकनीकी चुनौती नहीं, बल्कि सामाजिक समस्या भी है।” हम जिस डिजिटल युग में जी रहे हैं, उसमें सायबर अपराध अब केवल तकनीकी चुनौती नहीं रहा, बल्कि यह एक सामाजिक समस्या भी बन चुका है। युवा वर्ग, खासकर विद्यार्थी, सोशल मीडिया और इंटरनेट पर अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं, जिससे वे कई बार सायबर अपराधियों के निशाने पर आ जाते हैं। हमें समझना होगा कि ‘डिजिटल जागरूकता ही सायबर सुरक्षा का सबसे बड़ा हथियार है।’ किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले दो बार सोचें, अपनी व्यक्तिगत जानकारी किसी अजनबी से साझा न करें।
श्री राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज़ मंडीदीप ने कहा कि “उद्योगों और व्यापारिक संगठनों को भी सायबर सुरक्षा के प्रति सतर्क रहना चाहिए, ताकि वे सायबर हमलों से सुरक्षित रह सकें।”
श्री पंकज पाण्डेय, एस.पी. रायसेन ने कहा सायबर अपराधों से बचने के लिए हमें डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना होगा। पुलिस प्रशासन इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है और आम नागरिकों को जागरूक करने के लिए विभिन्न अभियान चला रहा है।
बतौर विशेषज्ञ वक्ता श्री योगेश पंडित, सायबर एक्सपर्ट एवं एडवोकेट ने कहा “सायबर अपराधों से बचाव के लिए डिजिटल अनुशासन आवश्यक है।” सायबर अपराधियों के लिए सबसे आसान लक्ष्य वे लोग होते हैं, जो बिना सोचे-समझे इंटरनेट का उपयोग करते हैं। हमें यह समझना होगा कि डिजिटल अनुशासन को अपनाए बिना सायबर सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती। आज सबसे आम सायबर अपराधों में फिशिंग (Phishing), मालवेयर अटैक (Malware Attack), और रैंसमवेयर (Ransomware) शामिल हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भी धोखाधड़ी के कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां फेक प्रोफाइल बनाकर लोगों से ठगी की जाती है। सायबर अपराधों से बचने के लिए हमें मजबूत पासवर्ड का उपयोग करना चाहिए, सोशल मीडिया पर अपनी निजी जानकारी साझा करने से बचना चाहिए, अनजान ईमेल और लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए, और दो-कारक प्रमाणीकरण (Two-Factor Authentication) को सक्रिय रखना चाहिए। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि यदि वे किसी भी सायबर अपराध का शिकार होते हैं, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें। सरकार ने इसके लिए 1930 हेल्पलाइन नंबर और www.cybercrime.gov.in पोर्टल भी उपलब्ध कराया है।
श्री अनंत श्रीवास्तव, सायबर एक्सपर्ट, टेकिलॉ ने बताया कि “सायबर हमलों से बचने के लिए हमें डिजिटल हाइजीन अपनानी होगी।” इंटरनेट का उपयोग करना जितना आसान हो गया है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है यदि हम सतर्क न रहें। हमें सायबर हमलों से बचने के लिए डिजिटल हाइजीन (Cyber Hygiene) अपनानी होगी। डिजिटल हाइजीन के कुछ महत्वपूर्ण उपाय साझा करते हुए बताया कि मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें और नियमित रूप से उसे बदलें, अपने मोबाइल और कंप्यूटर में एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करें, सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क का उपयोग करने से बचें, ऑनलाइन पेमेंट करते समय केवल सुरक्षित वेबसाइट (HTTPS) का ही उपयोग करें जैसे बुनियादी सुरक्षा उपायों का पालन करें, तो सायबर अपराधियों से सुरक्षित रह सकते हैं।
विशेषज्ञ वक्ता श्री शैलेन्द्र कुमार, सीनियर टेक्निकल लीड, नेटलिंक ने “तकनीकी जागरूकता ही सायबर सुरक्षा की कुंजी है।” सायबर अपराधी आमतौर पर उन्हीं लोगों को निशाना बनाते हैं, जो तकनीकी रूप से जागरूक नहीं होते। हमें यह समझना होगा कि इंटरनेट पर कुछ भी स्थायी नहीं है, इसलिए हमें अपनी डिजिटल गतिविधियों को सुरक्षित रखना चाहिए। तकनीकी रूप से सुरक्षित रहने के लिए संदेहास्पद ईमेल, लिंक और वेबसाइटों से बचें। किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी प्रामाणिकता की जाँच करें। ऑनलाइन बैंकिंग और डिजिटल ट्रांजेक्शन में सतर्कता बरतें। यदि हम सायबर सुरक्षा को लेकर जागरूक हो जाएं, तो सायबर अपराधों से काफी हद तक बच सकते हैं।
कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर आरएनटीयू से प्रो-वाइस चांसलर डॉ. संजीव गुप्ता ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि सायबर सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए और विश्वविद्यालय इस दिशा में छात्रों और आम नागरिकों को जागरूक करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय आगे भी इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य करेता रहेगा।
रायसेन पुलिस की ओर से सुश्री शीला सुराणा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि सायबर अपराधों से निपटने के लिए नागरिकों को पुलिस के साथ मिलकर कार्य करना होगा। यदि कोई सायबर अपराध का शिकार होता है, तो उसे तुरंत पुलिस से संपर्क करना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने एक्सपर्ट से अपने सवाल किए। एक्सपर्ट्स ने छात्रों के सभी सवालों के जवाब देकर उन्हें संतुष्ट किया। रायसेन पुलिस की तरफ से भरत प्रताप सिंह, थाना प्रभारी औबेदुल्लागंज और डॉ संगीता जौहरी, कुलसचिव आरएनटीयू ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा कि सायबर सुरक्षा की जागरूकता ही सायबर अपराधों को रोकने का सबसे प्रभावी उपाय है। हम सभी को मिलकर डिजिटल सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। कार्यक्रम में मंच संचालन विधि विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ नाइस जमीर ने किया।
नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूकता अभियान
सायबर सुरक्षा जागरूकता को जन-जन तक पहुँचाने के लिए आरएनटीयू के एनएसएस और एनसीसी के छात्रों द्वारा औबेदुल्लागंज में एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। इस नाटक के माध्यम से आमजन को ऑनलाइन फ्रॉड, फिशिंग, डेटा लीक और डिजिटल ठगी से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक किया गया। स्थानीय नागरिकों ने इस पहल की सराहना की और इसे बेहद उपयोगी बताया। नुक्कड़ नाटक टैगोर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहायक निदेशक श्री विक्रांत भट्ट के निर्देशन में सफलतापूर्वक किया गया।
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