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संभावना गतिविधि में निमाड़ी लोक गायन के साथ गोण्ड जनजातीय गुदुमबाजा एवं नौरता नृत्य की प्रस्तुति हुई

भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य, गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि “संभावना” का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 09 फरवरी, 2025 को श्री लेखपाल धुर्वे एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा गोण्ड जनजातीय गुदुमबाजा, सुश्री दुर्वा नामदेव एवं साथी, सागर द्वारा नौरता नृत्य एवं सुश्री रक्षा चौरे एवं साथी, भोपाल द्वारा निमाड़ी गायन की प्रस्तुति दी गई।  

गतिविधि अंतर्गत श्री लेखपाल धुर्वे एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा गोण्ड जनजातीय गुदुमबाजा की प्रस्तुति दी गई। गुदुमबाजा नृत्य गोण्ड जनजाति की उपजाति ढुलिया का पारम्परिक नृत्य है। समुदाय में गुदुम वाद्य वादन की सुदीर्घ परम्परा है। विशेषकर विवाह एवं अन्य अनुष्ठानिक अवसरों पर इस समुदाय के कलाकारों को मांगलिक वादन के लिए अनिवार्य रूप से आमंत्रित किया जाता है। इस नृत्य में गुदुम, डफ, मंजीरा, टिमकी आदि वाद्यों के साथ शहनाई के माध्यम से गोण्ड कर्मा और सैला गीतों की धुनों पर वादन एवं रंगीन वेश-भूषा और कमर में गुदुम बांधकर लय और ताल के साथ, विभिन्न मुद्राओं में नृत्य किया जाता है।

अगले क्रम में सुश्री दुर्वा नामदेव एवं साथी, सागर द्वारा नौरता नृत्य की प्रस्तुति दी गई। बुन्देलखण्ड अंचल में नवरात्रि के अवसर पर देवी के स्वरूपों को वर्णित करते हुए कुँवारी कन्याएं इसका आयोजन करती हैं। यह पूरे नौ दिन तक चलता है। घर के बाहर एक अलग स्थान पर नौरता बनाया जाता है। गाँव में रंगों की जगह गेरू, सेम के पत्तों का रंग, हल्दी तथा छुई का प्रयोग मुख्य रंग इतने ही होते हैं। नौरता में सुअटा, चंदा सूरज तथा नीचे रंगीन लाइनें बनायी जाती हैं। कई घरों में नौरता जहाँ बनता है। वहाँ पर आकर्षक बाउण्ड्री बनायी जाती है।

अगले क्रम में सुश्री रक्षा चौरे एवं साथी, भोपाल द्वारा निमाड़ी गायन की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में कलाकारों ने गणेश वंदना माता गिरजा का लाल…,.माँ नर्मदा गीत सच्चा मन सी भजन करूंगा…, कृष्ण भजन बंसी वाला साँवरा…, पारम्परिक गीत सोना को काटो म्हारी नाक…, माँ गंगा गीत  थारा चरणन म महारो प्रणाम…, पारम्परिक गीत लाल लाल बैल्या.., जैसे कई गीतों की प्रस्तुति दी। मंच पर गायन पर सुश्री रक्षा चौरे, सुश्री सीमा तारे, ढोलक पर श्री कृष्णकांत डोंगरे, हारमोनियम पर श्री मुनि मालवीय एवं अन्य संत कलाकार उपस्थित रहे।  

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय़ में प्रति रविवार आयोजित होने वाली इस गतिविधि में मध्यप्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कलारूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होगा। यह नृत्य प्रस्तुतियां संग्रहालय परिसर में आयोजित की जायेंगी। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय परिसर में प्रति रविवार दोपहर 02 बजे से आयोजित होने वाली गतिविधि में मध्यप्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कलारूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होगा।

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