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वनमाली कथा समय एवं विष्णु खरे कविता सम्मान समारोह का भव्य शुभारंभ

भोपाल। कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति के लिये समर्पित वनमाली सृजनपीठ द्वारा तीन दिवसीय वनमाली कथा समय एवं राष्ट्रीय विष्णु खरे कविता सम्मान समारोह का भव्य शुभारंभ रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में बुधवार को हुआ। समारोह के पहले सत्र में वरिष्ठ कहानीकार ममता कालिया, वनमाली कथा पत्रिका के प्रधान सम्पादक मुकेश वर्मा, तद्भव पत्रिका के सम्पादक अखिलेश, कहानीकार ओमा शर्मा ने ‘समकालीन साहित्यिक पत्रकारिता का परिदृश्य और वनमाली कथा’ विषय पर सत्र में अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये।

आरएनटीयू के कुलाधिपति एवं वरिष्ठ कथाकार संतोष चौबे ने वनमाली कथा पत्रिका की पूरी यात्रा को संक्षेप में बताते हुए कहा कि ‘भले ही हम छोटी जगहों में काम करेंगे, लेकिन हम अच्छी गुणवत्ता का काम करेंगे।’ यह भी कहा कि ‘लेखक को अपना एक्टिविजम कभी नहीं छोड़ना चाहिए, एक लेखक अंतत: एक एक्टिविस्ट है।’ परिचर्चा के विषय पर तद्भव पत्रिका के संपादक अखिलेश ने एक साहित्यक पत्रिका को वर्तमान समय में लगातार प्रकाशित करते रहने में पेश आने वाली चुनौतियों पर बात करते हुए कि इस समय जबकि डाक खर्च भी बढ़ गया है, कई साहित्यिक पत्रिकाओं ने प्रिंट फोर्मेट में पत्रिका निकालना बन्द कर दिया है। ऐसे समय में ‘वनमाली कथा’ जैसी लोकतांत्रिक और समावेशी पत्रिकाएँ बहुत साहस का काम कर रही हैं। वरिष्ठ कथाकार ओमा शर्मा ने कहा कि ‘रचना पर बात होनी चाहिए, जगह उतनी महत्पूर्ण नहीं है, वनमाली कथा रचनाओं पर बात करती है।’ पत्रिका के प्रधान सम्पादक मुकेश वर्मा ने साहित्यिक पत्रकारिता के 90 के दशक के पहले तथा बाद के समय को विस्तार से आंकलन करते हुए कहा कि ‘यह समय किसी भी किस्म की सांत्वना नहीं देता, ऐसे समय में ‘वनमाली कथा’ एक ऐसी लोकतांत्रिक पत्रिका है जिसके द्वार सभी के लिए खुले हैं।

सत्र की अध्यक्षता कर रहीं वरिष्ठ कहानीकार ममता कालिया ने अपने उदबोधन में कहा कि ‘यह ऐसा दौर है जहाँ आधा समाज चीज़ों को बेच रहा है और आधा समाज चीज़ों को खरीद रहा है। इस दौर में पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति भी खतरे में है। ऐसे में वनमाली कथा पत्रिका का लगातार विविध विशेषांको के साथ प्रकाशित होना बहुत उल्लेखनीय है। कार्यक्रम का संचालन वनमाली कथा पत्रिका के सम्पादक कुणाल सिंह ने किया तथा आभार आरएनटीयू की कुलसचिव संगीता जौहरी ने व्यक्त किया।

सत्र  ‘मलयालम में हिंदी के रचनाकार’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन श्री संतोष चौबे की अध्यक्षता में किया गया। उल्लेखनीय है कि इस सत्र में केरल के हिंदी–मलयाली साहित्यकारों के 20 सदस्यीय दल ने रचनात्मक भागीदारी की। परिचर्चा में केरल के वरिष्ठ हिंदी–मलयाली साहित्यकार डॉ. आरसु ने कहा कि केरल में हिंदी के लिए पहले से ही बहुत सकारात्मक वातावरण रहा है। हमारे पुरखों ने हमें विरासत में बहुभाषा और बहुआयामी दृष्टिकोण दिया है। मलयालम–हिंदी के वरिष्ठ अनुवादक डॉ. के.सी.अजय कुमार ने कहा कि हिंदी की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए देवनागरी लिपि को आत्मसात करना बहुत जरूरी है। सत्र की अध्यक्षता करते हुए श्री संतोष चौबे ने कहा कि वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत है कि साहित्य के साथ–साथ भाषा को कौशल की तरह आत्मसात करना। विश्व रंग ने हिंदी के लिए वैश्विक स्तर पर नई जमीन तैयार की है। इस अवसर पर विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलम्पियाड–2025 के पोस्टर का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। इसके साथ ही विश्व रंग के अंतर्गत हिंदी के 51 कथाकारों की हिंदी में रचित कहानियों के मलयालम में अनुवाद की पुस्तक ‘कथायात्रा’ तथा ‘मध्यप्रदेश कथकल’ का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया।

दूसरा सत्र कथा सभागार में कहानी पाठ का रहा। इसमें संतोष चौबे, मुकेश वर्मा, अखिलेश, मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा कहानी पाठ किया गया। इसमें संतोष चौबे द्वारा “सपनों की दुनिया में ब्लैक होल”, मनीषा कुलश्रेष्ठ द्वारा बच्चों पर कहानी का पाठ किया गया। वहीं लेखक अखिलेश द्वारा अपनी अप्रकाशित कहानी का अंश पाठ किया गया। सत्र की अध्यक्षता ममता कालिया ने की। संचालन डॉ. संगीता जौहरी द्वारा किया गया।

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