भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य, गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि “संभावना” का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 23 फरवरी, 2025 को श्री भद्दू सिंह उफ़ड़िया एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा बैगा जनजातीय करमा एवं फाग नृत्य, श्री अमित घारू एवं साथी, सागर द्वारा बधाई नृत्य एवं सुश्री आतिशी तिवारी एवं साथी, रीवा द्वारा बघेली लोक गायन की प्रस्तुति दी गई।

गतिविधि में श्री भद्दू सिंह उफ़ड़िया एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा बैगा जनजातीय करमा एवं फाग नृत्य की प्रस्तुति दी गई। बैगा जनजातीय समुदाय में फाग नृत्य को होली के दिन से शुरू हो कर 15 दिन तक किया जाता है। नृत्य में फाग गीत गा कर, लकडी का बना मुखौटा (हिरण्यकश्यप) और बांस की बनी गिज्जी (होलिका) का प्रयोग कर नृत्य करते हैं। नृत्य के पूर्व समुदाय के लोग गुलाल एवं परसा फूल का का भी प्रयोग करते है। दूसरी प्रस्तुति करमा नृत्य की दी गई। नई फसल आने की खुशी में किए जाने वाले इस नृत्य का मुख्य संगीत मांदल वाद्य की थाप होती है, जिस पर अन्य साथी नृत्य करते हैं। बैगा समुदाय में में फसल देवताओं के आगमन का प्रतीक है और कर्म फल मिलने का उदाहरण भी। कर्म पूजा व नृत्य ही करमा नृत्य को पूर्ण करते हैं।
वही श्री अमित घारू एवं साथी, सागर द्वारा बधाई नृत्य प्रस्तुत किया गया। बुन्देलखण्ड अंचल में जन्म विवाह और तीज-त्यौहारों पर बधाई नृत्य किया जाता है। मनौती पूरी हो जाने पर देवी-देवताओं के द्वार पर बधाई नृत्य होता है। इस नृत्य में स्त्रियाँ और पुरुष दोनों ही उमंग से भरकर नृत्य करते हैं। बूढ़ी स्त्रियाँ कुटुम्ब में नाती-पोतों के जन्म पर अपने वंश की वृद्घि के हर्ष से भरकर घर के आंगन में बधाई नाचने लगते हैं। नेग-न्यौछावर बांटती हैं। मंच पर जब बधाई नृत्य समूह के रूप में प्रस्तुत होता है, तो इसमें गीत भी गाये जाते हैं। बधाई के नर्तक, चेहरे के उल्लास, पद संचालन, देह की लचक और रंगारंग वेशभूषा से दर्शकों का मन मोह लेते हैं। इस नृत्य में ढपला, टिमकी, रमतूला और बांसुरी आदि वाद्य प्रयुक्त होते हैं।
गतिविधि में सुश्री आतिशी तिवारी एवं साथी, रीवा द्वारा बघेली लोक गायन की प्रस्तुति दी गई। कलाकारों ने गणेश वंदना- सबसे पहले पूजा तोहार हो…गैलहाई- सखी तरसत है दूनों नैन…, जेवनार गारी- उतरत माघ लगत दिन फागुन…, दादरा- हम ता तोहरे गले के हार
हास्य गीत- ग़ज़ब छल होइगा…, फाग गीत- रंग डालूँगी नंद के लालन पे…, जैसे कई गीतों की प्रस्तुति दी।
मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय़ में प्रति रविवार आयोजित होने वाली इस गतिविधि में मध्यप्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कलारूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होगा। यह नृत्य प्रस्तुतियां संग्रहालय परिसर में आयोजित की जायेंगी। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय परिसर में प्रति रविवार दोपहर 02 बजे से आयोजित होने वाली गतिविधि में मध्यप्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कलारूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होगा।
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