Advertisement

भोपाल परिक्षेत्र में विरासत संवर्धन चित्रांकन कार्यशाला आरंभ

भोपाल। भोपाल और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्राचीन मानव सभ्यता, इतिहास, संस्कृति, जीवन शैली और उनसे संबंधित चित्रांकन के महत्वपूर्ण अवशेष मिलते हैं। विरासत की विकास यात्रा को चित्रकारों की दृष्टि से रेखांकित करने के उद्देश्य से भोपाल परिक्षेत्र में विरासत संवर्धन चित्रांकन कार्यशाला आरंभ की गयी है।
महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि भोपाल, रायसेन, विदिशा, नर्मदापुरम व सिहोर आदि क्षेत्रों में प्राचीन मानव सभ्यता, इतिहास, संस्कृति, जीवन शैली और उनसे संबंधित चित्रांकन के महत्वपूर्ण अवशेष मिलते हैं। यह क्षेत्र भारत के प्रागैतिहासिक वर्षों से लेकर स्वाधीनता संग्राम तक इतिहास के निर्माता और साक्षी रहे हैं। इनका इतिहास केवल रियासतकालीन नहीं है वरन इस संपूर्ण परिक्षेत्र में मानव सभ्यता की उपस्थिति प्रागैतिहासिक काल से रही है और इसके प्रमाण हमें असंख्य प्रागैतिहासिक कालीन शैल चित्रों से प्राप्त होते हैं।
निदेशक तिवारी ने बताया कि इस परिक्षेत्र में पाषाणकालीन सभ्यता,  ताम्रपाषाणकालीन, मध्यकालीन जैन, बौद्ध, मौर्य, गुप्त, नाग, परमार व मुगल प्रत्येक काल में मानव उपस्थिति के प्रमाण बहुतायत में मिलते हैं।
उन्‍होंने बताया कि मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग, महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के राजा भोज शोध प्रभाग द्वारा इन विरासतों की विकास यात्रा को चित्रित कर उन्हें संवर्धित करने का कार्य शुरू किया है। इस विरासत संवर्धन चित्रांकन कार्यशाला में भोपाल के वरिष्ठ चित्रकार सर्वश्री विनय सप्रे, विवेक टेम्बे, दिनेश दुबे, प्रभु ढोक, कृष्ण कुमार मालवीय, शुभम वर्मा, विजय गहरवार, महेश शावरीकर तथा सुश्री मंजू सिंह चित्रांकन कर रहे हैं। कार्यशाला का संयोजन नितिन भांड तथा समन्वय संजय यादव द्वारा किया जा रहा है।
चित्रांकन कार्यशाला के प्रथम चरण में रायसेन किले में स्थित बादल महल, रोहिणी महल, अतरदान महल, हवा महल, मस्जिद, मदरसा, सोमेश्वर शिवमंदिर और तालाब आदि भोपाल के सिद्धीक हसन की मस्जिद, कुरेशिया बेगम का मकबरा, बड़ा बाग, नजर मोहम्मद खान और उनकी बेगम के मकबरे आदि स्मारकों/स्थलों को चित्रांकित किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *