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59वीं शलाका जनजातीय चित्र प्रदर्शनी प्रारंभ

भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को चित्र प्रदर्शनी और चित्रों की बिक्री के लिये सार्थक मंच उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रतिमाह ‘लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा’ में किसी एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह विक्रय का संयोजन शलाका नाम से किया जाता है। इसी क्रम में 3 मार्च, 2025 से भील समुदाय की चित्रकार सुश्री पायल मेड़ा के चित्रों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का संयोजन किया गया है। 59वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 30 मार्च, 2025 (मंगलवार से रविवार) तक निरंतर रहेगी।

युवा भीली चित्रकार पायल मेड़ा का जन्म भोपाल (मध्यप्रदेश) में हुआ। आप कुल सात भाई-बहन हैं। अल्प आयु में ही पिता के निधन के बाद आर्थिक अभावों के चलते आपकी शिक्षा प्राथमिक तक ही हो पाई। आपकी माता सुप्रसिद्ध चित्रकार श्रीमती लाडोबाई से आपने पारम्परिक चित्रकला की बारीकियों को जाना और सीखा तथा उनके चित्रकर्म में समय-समय पर सहायता भी की। उनके साथ ही आपने भारत भवन- भोपाल सहित अनेक सामाजिक- सांस्कृतिक संस्थाओं के लिए जनजातीय बच्चों को चित्रकला प्रशिक्षण के शिविर में भागीदारी की है। आपके अन्य भाई-बहन भी पारम्परिक चित्रकला में संलग्न हैं। आपने नई दिल्ली, बड़ोदा, भोपाल आदि शहरों में आयोजित कुछेक संयुक्त चित्रकला प्रदर्शनियों में भाग लिया है। पारम्परिक पिथौरा चित्रकला सहित आपके चित्रों में पशु-पक्षी और प्रकृति विशेषतौर पर दृष्टव्य होते हैं। आप अपनी सफलता का सम्पूर्ण श्रेय अपनी माता श्रीमती लाडोबाई को देती हैं, जिनकी सतत् प्रेरणा और मार्गदर्शन ने आपकी चित्रकला को सुघड़ बनाया।

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