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बुजुर्गों का घर से बेघर होना विषय पर हुआ मंथन

खंडवा। मंगलवार को ‘थोड़ा हंस लो’ काव्य गोष्ठी के माध्यम से बुजुर्गों का घर से बेघर होना विषय पर मंथन हुआ, जिसमें ककस परिवार एवं अन्य साहित्यकारों ने विषय की गंभीरता पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। यह जानकारी देते हुए ककस प्रवक्ता निर्मल मंगवानी ने बताया कि “थोड़ा हंस लो” के बैनर तले परिचर्चा के दौरान मुख्यातिथि सदभावना संस्थापक प्रमोद जैन थे। अध्यक्षता डॉ जगदीशचंद्र चौरे ने की। विशिष्ट अतिथि अरुण सोनी, अनार सिंग सोलंकी एवं सुरेंद्र गीते रहे। कार्यक्रम का आगाज मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर हुआ। इस अवसर पर चुटीले अंदाज में हास्य बिखरने वाले व्यंग्य लेखक सुनील चौरे ‘उपमन्यु’ का मोतियों की माला पहनाकर शाल श्रीफल से अभिनन्दन किया गया। सम्मान के प्रत्युत्तर में उपमन्यु ने धन्यवाद देते हुए कहा कि आज “बुजुर्ग घर से बेघर” विषय बहुत ही सोचनीय है। एकल परिवार एवं स्वतंत्रता की चाह ने बच्चों को अपने बुजुर्गों के प्रति लापरवाह कर दिया है। जिससे ये बुजुर्ग वृध्दाश्रमों की शरण में जा रहे है। इसकी रोक करना जरूरी है। चर्चा में भाग लेते हुए दीपक चाकरे, तारकेश्वर चौरे ने कहा कि बुजुर्ग घर की धरोहर होती है इनके घर मे होने से घर भरापूरा रहता है। इस दौरान सन्तोष चौरे, महेश मूलचंदानी, दीपक झंवर, धर्मेंद्र पटेल, ओम प्रकाश चौरे, योगेश बरोले, नितेश चौरे, कविता विश्वकर्मा, मंगला चौरे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। विशिष्ट अतिथि अरुण सोनी, अनार सिंग सोलंकी एवं सुरेंद्र गीते जी ने भी बुज़ुर्गो की स्थिति पर चिंता जताई।मुख्य अतिथि प्रमोद जैन जी एवं अध्यक्षता कर रहे डॉ जगदीशचंद्र चौरे ने भी विचार व्यक्त किये। संचालन मंगला चौरे ने किया। अंत में आभार नितेश चौरे ने माना।

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