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समर केम्प में “मैंगो डे” के अवसर पर सुनील उपमन्यु ने अभिनय के जरिये हास्य कर गुदगुदाया

खण्डवा। बच्चों में बच्चा बन बड़ो के साथ ही नन्हे नन्हे बच्चों को ठहाके लगा कर हंसाने का टास्क बहुत ही क्लिष्ठ होता है। वनमाली सृजनपीठ के तत्वाधान में चलाए जा रहे समर केम्प में “मैंगो डे” के अवसर पर चिरपरिचित एक नाम “सुनील उपमन्यु” जिन्होंने हास्य व्यंग्य के माध्यम से अखिल भारतीय कवि मंचो पर हास्य बिखेरा हो या नुक्कड़ नाटकों, नाटकों में अभिनय के जरिये हास्य कर गुदगुदाया हो। ऐसे उपमन्यु को वनमाली सृजन पीठ ने आमन्त्रित किया। नन्हे नन्हे बच्चों के साथ ही बड़ो को भी उपमन्यु ने अपनी अभिनय क्षमता के साथ ही रचनापाठ कर  खूब ठहाका लगवाए।

उनकी रचना “रोज होती नाइट,रोज होता डे, मज़ा आज आएगा, आज है “मैंगो डे”  इस रचना पर बच्चें खूब हंसे।

वही बच्चों के मन की रचना “आज बात करूं मन की, मैं बन जाऊं मंकी” इस रचना ने उपमन्यु कलाकार के साथ ही बच्चों को भी मंकी जैसी उछलकूद करवा दी।अंत मे लोकभाषा निमाड़ी की रचना “आपड़ी की थापडी पोथी को पान दीपक न खींचियो रेखा को कान इस रचना ने हास्य बिखेरते हुए बड़ो को खूब आनंदित किया।

लगभग चालीस मिनिट तक उपमन्यु को सुनकर बच्चों के साथ ही बड़े भी ठहाके लगाते रहे। इस अवसर पर कुलगुरु अरुण रमेश जोशी कुलसचिव रवि चतुर्वेदी, वन माली सृजनपीठ के अध्यक्ष  गोविंद शर्मा, विश्वविधालय के पदाधिकारी ज्योति एवं दुर्गेश चतुर्वेदी,संगीत ललित कला महाविद्यालय की निदेशक शबनम, इस कार्यक्रम की संयोजिका गीतिका चतुर्वेदी मैंडम पाल ,मैंडम पाठक एवं पूरा स्टाफ उपस्थित था। इस अवसर पर कवि कला संगम के पदाधिकारी भूपेंद्र मौर्य एवं अखिल निमाड़ लोक परिषद के जिलाध्यक्ष दीपक चाकरे भी उपस्थित रहे। पश्चात सभी ने आम रस का आनन्द लिया और “मैंगो डे” को सेलिब्रेट किया।

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