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सबसे बड़े भगवान

आशीष खरे

आज भगवान को अच्छा सबक सिखाया
उनकी शिकायत, उन्हीं से कर आया,
सुन मेरी बात, वो हो गए गंभीर
कहने लगे, शिकायत और मुझसे ?
सारी सृष्टि के पालनहार बनकर भी
पक्षपात तुम करते हो
सुन आरोप, हंसते हुए बोले भगवान,
मेरे लिये इस सृष्टि में सब एक समान
सबका भला किया करते हो, लेकिन..?
लेकिन क्या….? भगवान ने प्रश्न कर डाला
भाव विभोर मन से तुमको पूजा करता हॅू
सुबह शाम घण्टा, शंख बजा तुम्हें रिझाया
करता हॅू
श्रंगार फूलों से कर, नित नए भोग लगाता हॅू
फिर मुझे क्यों, नजर अंदाज करते हो ?
सुनकर मेरी बात वो हंसते हुये बोले
तुम हो बहुत भोले और नादान
घर के देवी देवता का खुद कर नजर अंदाज
आरोप उल्टा मुझ पर लगाते हो । फिर भी
फल पाने की इच्छा मुझसे रखते हो ?
जो मांगना है उनसे मांगों
करते रहते उनकी सेवा, तो तर जाते अब तक
बात सुन भगवान की, प्रश्न अगला कर डाला
मन मेरा भरमाते हो, राह गलत बतलाते हो
तुमसे बड़ा भला और कौन हो सकता है ?
क्या तुम अपने भक्त को ऐसे ही बर्गलाते हो ?
सोलह आने सच कहता हूँ, मानों मेरी बात
माता पिता से बढ़कर दूजा नहीं भगवान
मैं भी अपना शीश झुकाता हॅू उनके चरणों में
पाकर आशीर्वाद उनका, धन्य हो जाता हॅू
जिसने माता पिता की, तन मन से की है सेवा
नहीं पड़ेगी जरूरत उसको मेरी मनुहार की
ऐसे भगवानों का निरादर कभी न करना
वो तेरे पालनहार हैं ।
समझ गया मैं, कितना हूं नादान
जिनको समझ रहा था अनपढ़ और गंवार
उनके चरणों में वास करते हैं तीरथ कई हजार
माता पिता की सेवा करने हो जायेगा बेड़ा पार
और खुल जाएगें खुशियों के सारे बंद द्वार ।।

कार्यक्रम अधिकारी, दूरदर्शन केन्द्र, भुवनेश्वर
मो.:9040153555

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