भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को चित्र प्रदर्शनी और चित्रों की बिक्री के लिये सार्थक मंच उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रतिमाह ‘लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा’ में किसी एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह विक्रय का संयोजन शलाका नाम से किया जाता है। इसी क्रम में 3 अगस्त, 2025 से गोण्ड जनजातीय चित्रकार श्री शैलेन्द्र टेकाम के चित्रों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का संयोजन किया गया है। 64वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 30 अगस्त, 2025 (मंगलवार से रविवार) तक निरंतर रहेगी।
तीस वर्षीय शैलेन्द्र टेकाम गोण्ड पारम्परिक गोण्ड चित्रकला की वर्तमान पीढ़ी के चित्रकार हैं। आपका जन्म वर्ष 1994 में ग्राम करोंदा, पाटनगढ़ जिला- डिण्डोरी में हुआ। आपके पिता श्री राजकुमार टेकाम खेती-किसानी करते हैं। जंगल-पहाड़ों के बीच आप पले-बढ़े और बचपन गुजरा है। स्थानीय गाँव और नजदीकी कस्बे से आपने 10वीं तक औपचारिक शिक्षा हासिल की है। पढ़ाई के साथ-साथ आप पारिवारिक खेती में भी सहायता करते रहे। आपका विवाह वर्ष 2016 में हुआ। आपकी पत्नी श्रीमती सुशीला श्याम पारम्परिक गोण्ड चित्रकला में पारंगत हैं। विवाह के बाद आप अच्छे रोजगार की तलाश में भोपाल आये, तो कुछ समय बाद आपने अपनी पत्नी के चित्रकर्म में सहयोग करना प्रारम्भ किया। फिर धीरे-धीरे उन्हीं के सान्निध्य और सहयोग से स्वतंत्र रूप से भी चित्रकला कर्म करने लगे। एक तरह से आपकी पत्नी ही आपकी कलागुरु भी हैं।
वर्तमान में आप भोपाल में ही निवासरत हैं एवं आजीविका के लिए चित्रकर्म पर निर्भर हैं। आपने देश-प्रदेश के कुछ प्रसिद्ध कला-संस्थानों पर एकल एवं संयुक्त चित्रकला प्रदर्शनियों में भाग लिया है। आप अपनी सफलता का श्रेय अपनी पत्नी श्रीमती सुशीला श्याम को ही देते हैं। आपके चित्रों में पशु-पक्षी और जंगल-पहाड़ों का जीवन प्रमुखता से देखने को मिलता है।
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